त्रिपुर सुंदरी मंदिर का अबूझ रहस्य, जहां भक्ति और चमत्कार एक साथ होते हैं
कुल्लू: कुल्लू के नग्गर में त्रिपुर सुंदरी मंदिर अपनी अद्भुत वास्तुकला और आध्यात्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। दस महाविद्याओं में से एक मानी जाने वाली इस देवी को राजपरिवार की कुल देवी के रूप में पूजा जाता है। यह मंदिर लकड़ी से बना है और यह स्थान देवी की पिंडी का प्राकट्य स्थान है।
मंदिर का इतिहास
त्रिपुर सुंदरी मंदिर के निर्माण का इतिहास बहुत दिलचस्प है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण राजाओं के समय में हुआ था। जब राजा ने देवी से अपनी उपस्थिति का प्रमाण मांगा तो देवी ने अपनी पिंडी के ऊपर मकड़ी के जाले के रूप में जल प्रकट किया। उसके बाद इस मंदिर का निर्माण कराया गया। एक अन्य कहानी के अनुसार, एक चरवाहा अपनी गायों को चराने के लिए यहां लाया था और एक दिन उसने देखा कि उसकी गाय दूध दे रही है और वहां एक लड़की गाय का दूध पी रही है।
इस घटना से स्थानीय लोगों को माता के दिव्य स्वरूप की उपस्थिति का ज्ञान हुआ। हर साल मई में, देवी के सम्मान में यहां शहरी जात्रा नामक मेला आयोजित किया जाता है, जो इस मंदिर के महत्व को और उजागर करता है।
त्रिपुर सुंदरी: देवी स्वरूप
त्रिपुर सुंदरी, जिन्हें राजराजेश्वरी, ललिता, षोडशी और कामाक्षी के नाम से भी जाना जाता है, दस महाविद्याओं में सबसे प्रमुख मानी जाती हैं। उन्हें तीनों लोकों में सबसे खूबसूरत महिला माना जाता है। काली के इस रूप ने त्रिपुर रक्षा को मार डाला और शाही परिवारों की कुल देवी के रूप में पूजा की जाती है।
नग्गर का त्रिपुर सुंदरी मंदिर
नग्गर का त्रिपुर सुंदरी मंदिर देवदार की लकड़ी का उपयोग करके पैगोडा शैली में बनाया गया है। इसकी लकड़ी की छत और संरचना मनाली के हिडिम्बा मंदिर से मिलती जुलती है, जो इसे और भी आकर्षक बनाती है।
कुल देवी का अर्थ
त्रिपुर सुंदरी को राजपरिवारों की कुल देवी माना जाता है। कुल्लू का शाही परिवार भी देवी का आशीर्वाद लेने के लिए इस मंदिर में आता है, जिससे इस मंदिर का आध्यात्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है। नग्गर का त्रिपुर सुंदरी मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है बल्कि इतिहास और संस्कृति का भी प्रतीक है। यहां की अनोखी कहानियां और मंदिर की खूबसूरत वास्तुकला इसे एक अद्भुत जगह बनाती है।
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पहले प्रकाशित: 27 सितंबर, 2024 12:47 IST
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