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फेरन और चिकनकारी कुर्ती का क्रेज बढ़ता जा रहा है, लोग इसे खूब पसंद कर रहे हैं

फेरन और चिकनकारी कुर्ती का क्रेज बढ़ता जा रहा है, लोग इसे खूब पसंद कर रहे हैं

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शिमला. हाल के वर्षों में हिमाचली परिधानों के प्रति लोगों का उत्साह बढ़ा है। हिमाचली शॉल, सदरी, कोट, स्टोल, कुर्ता आदि लोगों को खूब पसंद आ रहा है। ऐसी ही दीवानगी हिमाचल के चिकनकारी कुर्ते और फेरन में देखने को मिली। इन कुर्तों की खास बात यह है कि इन कुर्तों पर अलग-अलग तरह के डिजाइन बने होते हैं और उसी हिसाब से इनकी कीमतें भी तय की जाती हैं। इसके अलावा, हिमाचली फेरन भी महिलाओं के बीच बहुत लोकप्रिय है। इसे आमतौर पर सर्दियों में पहना जाता है।

मनाली के रहने वाले राजेश ने लोकल 18 को बताया कि वह सहकारी समिति के लिए काम करते हैं, विभिन्न स्थानों पर जाते हैं और प्रदर्शनियों का आयोजन करते हैं. इसमें वह अलग-अलग तरह के हिमाचली कपड़े बेचते हैं। उनके पास चिकनकारी कुर्तियां, फ़ेरन, कश्मीरी फ़ेरन, जैकेट, स्कार्फ, सूट आदि उपलब्ध हैं।

क्या है खासियत, क्यों पसंद करते हैं लोग?
राजेश बताते हैं कि फेरन और कुर्ती शुद्ध याक ऊन से बनाई जाती हैं। इसके अलावा, वे सभी हाथ से बने हैं, यानी हस्तनिर्मित हैं। इसी वजह से लोग इन कपड़ों को काफी पसंद करते हैं. उनके पास सादे स्कार्फ, कढ़ाई वाले स्कार्फ, पश्मीना स्कार्फ और धारीदार स्कार्फ सहित सभी प्रकार के स्कार्फ हैं। ये सभी भी शुद्ध याक ऊन, भेड़ ऊन और नींबू ऊन से बने होते हैं।

अधिकतम और न्यूनतम कीमतें क्या हैं?
राजेश बताते हैं कि उनके पास सबसे सस्ता दुपट्टा 200 रुपये का है। उन्होंने सभी कपड़ों की वस्तुओं पर 20 प्रतिशत की छूट की भी पेशकश की। छूट के बाद फेरन की कीमत 1600 रुपये और चिकनकारी कुर्ती की कीमत 1800 रुपये है। सबसे ज्यादा कीमतें पश्मीना शॉल की हैं, जो 8,000 रुपये से शुरू होती हैं और 25,000 रुपये तक जाती हैं। इसके अतिरिक्त महिलाओं के लिए कुल्लवी सूट भी उपलब्ध हैं और इनकी कीमत 1250 से 7500 रुपये तक है।

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