मणिमहेश नहीं जा सके! यहां स्नान करने से मिलेगा उतना ही पुण्य, जानिए कब है राधाष्टमी?
कांगड़ा. देवभूमि हिमाचल के कोने-कोने में आपको पौराणिक कथाएं सुनने को मिल जाएंगी जिनका सीधा संबंध दैवीय शक्तियों से है। यहां के मंदिरों और शक्तिपीठों में गहरी आस्था का जुड़ाव दिखाई देता है। आज हम आपको धर्मशाला की डल झील में हर साल राधा अष्टमी के दिन आयोजित होने वाले विशेष स्नान के बारे में बताएंगे।
निचले धर्मशाला से 11 किमी दूर स्थित, डल झील देवदार के पेड़ों के बीच पहाड़ियों के पास बहती है। यह जगह ट्रैकिंग और दर्शनीय स्थलों की यात्रा के लिए बिल्कुल उपयुक्त है। झील के किनारे एक छोटा सा शिव मंदिर भी है।
इस दिन स्नान करने से मणिमहेश नहौं के समान पुण्य प्राप्त होता है।
पर्यटन नगरी मैक्लोडगंज के पास इस झील में हर साल राधा अष्टमी के दिन स्नान और देव पूजा कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस झील की पवित्रता और मान्यता बहुत गहरी है। राधा अष्टमी के दिन यहां स्नान करने से मणिमहेश नहौं के समान पुण्य की प्राप्ति होती है, ऐसा माना जाता है। इस पवित्र दिन पर आस्थावानों की भारी भीड़ जुटती है। डल झील प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है और लोगों की आस्था का केंद्र है। मैक्लोडगंज से दो किलोमीटर ऊपर स्थित नड्डी की इस डल झील को “छोटा मणिमहेश” भी कहा जाता है। आज स्नान का कार्यक्रम सुबह 4 बजे शुभ समय पर शुरू हुआ और पूरे दिन जारी रहेगा.
डल झील के पास दुर्वासा ऋषि का मंदिर
डल झील के पास दुर्वासा ऋषि का मंदिर है जहाँ उन्होंने तपस्या की थी और भगवान शिव का एक प्राचीन मंदिर भी है। मंदिर के पुजारी ने बताया कि जो लोग मणिमहेश यात्रा में शामिल होने में असमर्थ हैं वे यहां आकर राधा अष्टमी के दिन स्नान कर सकते हैं। इससे उन्हें मणिमहेश के समान पुण्य की प्राप्ति होती है और उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
राधा अष्टमी कब है?
इस साल राधा अष्टमी 11 सितंबर को मनाई जाएगी जब डल झील के तट पर स्नान और पूजा का आयोजन किया जाएगा। इस मौके पर कई श्रद्धालु और स्थानीय लोग इस पवित्र आयोजन में हिस्सा लेंगे. मंदिर समिति की ओर से राधा अष्टमी की तैयारियां लगभग पूरी कर ली गई हैं।
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पहले प्रकाशित: 6 सितंबर, 2024 5:12 अपराह्न IST