Kanya Pujan: नवरात्रि के दौरान इस तरह से करे कन्या पूजन, जानिए किस उम्र की कितनी कन्याएँ होनी चाहिए ?
Kanya Pujan: 26 सितंबर से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है. 3 अक्टूबर को महा अष्टमी और 4 अक्टूबर को महानवमी और 5 अक्टूबर का दशहरे का उत्सव मनाया जाएगा. नवरात्रि के दौरान कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है. कुछ लोग नवरात्रि शुरू होते ही कन्या पूजन कराने लगते हैं
. लेकिन कन्या पूजन के लिए अष्टमी और नवमी का दिन खास होता हैं. जो लोग पूरे 9 दिनों के लिए उपवास रखते है, वें कन्या पूजन के बाद में ही व्रत खोलते हैं. कन्या पूजन के दौरान 2 से 10 साल तक की कन्याओं को आमंत्रित किया जाना चाहिए और इसके साथ ही एक ही आयु के बालक को भी बुलाया जाना चाहिए. बिना भैरव पूजन किए माता पूजन स्वीकार नहीं करती है. कन्या पूजन के समय कन्याओं की संख्या 9 होनी चाहिए.
Kanya Pujan: इस तरह से करे कन्या पूजन
कन्याओ को घर पर आमंत्रित करने से पहले माँ दुर्गा की पूजा करे. इसके बाद में सभी कन्याओ के पैर धोवे. उन्हें आसान पर बैठाए. सभी के तिलक और नाल बांधे. भोजन के प्रसाद का सबसे पहले माता को भोग अर्पित करे और इसके बाद में सभी कन्याओ और बालक को आदरपूर्वक भोजन करवाए. इसके बाद सभी के पैर छूकर आशीर्वाद लेवे और भेट देवे।
Kanya Pujan: उम्र के हिसाब से हैं माता के 9 स्वरूप
2 वर्ष की कन्या पूजन करने से दुख- दरिद्रता दूर होती हैं.
3 वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति का संकेत मानी जाती है. इनके पूजन से धन जाने की प्राप्ति होती है और सुख समृद्धि बनी रहती है.
4 वर्ष की कन्या को कल्याणी का स्वरूप माना जाता है. इस के पूजन से परिवार का कल्याण होता हैं.
5 वर्ष की कन्या रोहिणी कहलाती है. इसका पूजन व्यक्ति को रोग से मुक्ति दिलाता है.
6 वर्ष की कन्या मां कालिका का स्वरूप मानी जाती है. जो विद्या विजय और राजयोग दिलाती है.
7 वर्ष की कन्या को चंडिका का स्वरूप माना गया है. चंडिका का पूजन करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.
8 वर्ष की कन्या शांभवी कहलाती है. इस के पूजन से वाद-विवाद से मुक्ति मिलती है.
9 वर्ष की कन्या साक्षात दुर्गा का स्वरूप कहलाती है. जिसका पूजन करने से शत्रु का नाश होता है और सभी कार्य सफल होते हैं.
10 वर्ष की कन्या सुभद्रा का रूप मानी जाती है और माता सुभद्रा अपने भक्तों की सभी इच्छाए पूर्ण करती है।