Dharma: जानिए पूजा और हवन के दौरान आचमन करना क्यों होता है जरूरी, क्या है इससे जुड़ी हुई मान्यता ?
Dharma: हिंदू शास्त्रों में हवन और पूजा के दौरान कई विधि विधानो का वर्णन मिलता है। जिसका हमें धार्मिक क्रियाकलापों के दौरान पालन करना बेहद जरूरी होता है। इन्हीं में से एक विधि है, आचमन करना। इस विधि को पूजा-अर्चना का जरूरी हिस्सा माना गया है। शास्त्रों में कहा जाता है कि जब तक पूजा से पहले आचमन नहीं किया जाए तब तक किसी भी पूजा को पूर्ण नहीं माना जाता है।
Dharma: पूजा- अर्चना से पहले क्यों लिया जाता हैं आचमन
आचमन का अर्थ पवित्र जल को ग्रहण करना होता है। असल में पूजा पाठ करते समय शरीर को शुद्ध करने के लिए यह किया जाता है। इसलिए पूजा-अर्चना शुरू करने से पहले आचमन करना बेहद जरूरी होता है।
जब पवित्र जल का आचमन किया जाता है। तो पंडित जी मंत्र उच्चारण करके देवी देवताओं का स्मरण कर अपनी कृपा बरसाने का आग्रह करते हैं। यह आचमन कैसे किया जाता है और शास्त्रों में इसके क्या क्या लाभ बताइए गए हैं तो आइए जानते हैं…
Dharma: ये सभी सामग्री हैं जरुरी
जब भी आपके घर, दुकान में कोई पूजा या हवन हो तो सबसे पहले उसमे इस्तेमाल की जाने वाली चीजों को इकट्ठा कर लेवे। इसके बाद तांबे के कलश में गंगा जल या शुद्ध जल भरकर रखें।
उस जल में तुलसी की कुछ पत्तियां डाले और तांबे के कलश में एक छोटी चम्मच रखना भी न भूले। इसके बाद पूजा शुरू करने से पहले अपनी आंखें बंद करके भगवान का स्मरण करें। साथ ही पुजारी के जरिए चम्मच से तांबे के कलश में रखा पवित्र जल लेकर अपनी हथेली पर रखें।
आचमन करने के दौरान कुछ मंत्रों का उच्चारण किया जाता है जो पुजारी करता है और पूजा के दौरान इस बात का जरूर ख्याल ध्यान रखें कि आचमन करने के बाद कान और माथे को छूकर भगवान की प्रतिमा को प्रणाम करना चाहिए।
Dharma: पूजा के दौरान दिशा का रखे खास ध्यान
आप जब भी पूजा कर रहे हैं तो पवित्र जल का आचमन जरूर करें और इस बात का अवश्य ध्यान रखिए कि आपका मुख पूर्व उत्तर या ईशान कोण की तरफ होना चाहिए। अगर आप गलत दिशा की तरफ मुंह करके पूजा करते हैं तो आपको उसका फल प्राप्त नहीं होगा। सही दिशा में मुंह करके आचमन करने से भगवान प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं।