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Aastha: क्या आप भी करते भगवान को चढ़ाए गए भोग के साथ ये गलती, घर में होता नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव

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Aastha: भारतीय संस्कृति में हवन पूजा के बाद भगवान को भोग लगाना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से भगवान प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं।

वास्तु शास्त्र के मुताबिक तो उसमें भगवान को भोग लगाने से जुड़े कई विधि विधान बताए गए हैं। क्या आप उन नियमों के बारे में जानते है? अगर आप इन नियमों के बारे में नहीं जानते हैं तो चलिए जानते हैं, भगवान को अर्पित किए जाने वाले प्रसाद से जुड़े कुछ नियमों के बारे में….

नैवेद्य को लेकर लोगों में असमंजस रहता हैं। वास्तु शास्त्र में भगवान पर चढ़ाए जाने वाले भोग को नैवेद्य कहा जाता है। यह नैवेद्य बेहद शुभ और मंगलकारी माना जाता है।

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काफी सारे लोग भगवान की प्रतिमा पर भोग अर्पित करने के बाद सामंजस्य में रहते हैं कि उस प्रसाद का क्या किया जाए? क्या उसे ग्रहण कर लिया जाए या भगवान के पास इसे खुला छोड़ दिया जाए? इससे जुड़ी कई बातें उनके लिए दुर्भाग्य का कारण साबित होता है।

Aastha: भगवान के सामने से भोग न हटाने से नुकसान

असल में भगवान को भोग अर्पित करने के कुछ देर बाद उसे बाहर से हटा लेना चाहिए। ऐसा न करने से चांडाल, चण्डांशु, चांडाली नामक नकारात्मकता आती है और वह नैवेद्य को भ्रष्ट कर देती है। जिससे इंसान के दुर्दिन शुरू हो जाते हैं।

वास्तु शास्त्र के अनुसार भगवान की प्रतिमा के सामने से इसे हटाकर किसी तांबे के के पात्र, सोने, चांदी, पत्थर, मिट्टी या लकड़ी के पात्र पर रख देना चाहिए। ऐसा करने से शुभ होता है और परिवार के लोगों में सकारात्मकता आती है।

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Aastha: खुद ग्रहण कर ले या बाट दे भगवान पर चढ़ाया गया भोग

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक भगवान को अर्पित किया हुआ भोग कुछ देर बाद में प्रसाद का रूप ले लेता है। ऐसे में इस प्रसाद को खुद ग्रहण कर लेवे या संभव हो सके तो दुसरो में बाँट देना चाहिए। ऐसा करने से प्रभु प्रसन्न होते है और प्रसाद ग्रहण करने वाले लोगो का बेडा पार लगते है।

कहा जाता है कि जो लोग प्रसाद से जुड़े हुए नियमो का श्रद्धा पूर्वक पालन करते है, उनके जीवन में कभी कोई कष्ट नहीं आता है और घर खुशियों से भर जाता है।

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