अहोई अष्टमी : करवा चौथ के चार दिन बाद रखा जाता है अहोई अष्टमी का व्रत, निसंतान दम्पति को होती है संतान सुख की प्राप्ति
अहोई अष्टमी : हिंदू धर्म शास्त्र में पति की लंबी आयु, संतान प्राप्ति और उत्तम स्वास्थ्य के लिए कई तरह के व्रत रखे जाते हैं। इन्हीं में से एक वक्त अहोई अष्टमी का भी है। इस दिन महिलाएं अपनी संतान के लिए भूखी, प्यासी रहकर उनकी लंबी आयु के लिए व्रत करती है।
अहोई अष्टमी का व्रत करवा चौथ के 4 दिन बाद रखा जाता है। इस दिन अहोई माता की पूजा की जाती है। पूजा के दौरान कथा करने और सुनने से शुभ लाभ प्राप्त होते हैं।
हिन्दू पंचांग के अनुसार अहोई अष्टमी व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष में अष्टमी तिथि को रखा जाता है। इस बार अहोई अष्टमी 17 अक्टूबर को पड़ रही है।
इस दिन संतान सुख, बच्चे की दीर्घायु और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की जाती है। इस दिन तारों को देखकर व्रत का पारण किया जाता है। तारो को अर्घ्य देकर व्रत खोलते हैं। तो आइए जानते हैं अहोई अष्टमी का शुभ मुहूर्त और महत्व
अहोई अष्टमी : अहोई अष्टमी का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार अहोई अष्टमी 17 अक्टूबर 2022 सुबह 9:29 से लेकर 18 अक्टूबर सुबह 11:57 तक रहेगी।
तारों को देखने का समय – 17 अक्टूबर शाम 6:20 मिनट
चंद्रोदय का समय – रात 11:35 मिनट
अहोई अष्टमी : अहोई अष्टमी का महत्व
सूत्रों के मुताबिक अहोई अष्टमी का व्रत रखने से निसंतान दंपत्ति को संतान सुख की प्राप्ति होती है। जिसके शिशु की मृत्यु गर्भ में हो जाती है। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले सूर्यास्त तक अष्टमी का व्रत रखती है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। इस दिन तारों को देखकर व्रत खोला जाता है। वहीं कुछ महिलाएं अहोई अष्टमी के दिन चांद को देख रही व्रत खोलती हैं। आपको बता दें अष्टमी का व्रत दिवाली से 8 दिन पहले रखा जाता है।