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Aastha : इस तरह करें विनायक जी की पूजा!! जाने मुहूर्त और पूजा की खास विधि

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Aastha : कार्तिक महीने की विनायक चतुर्थी इस बार 28 अक्टूबर को है यानी कि आज के दिन मनाई जाएगी। आज के दिन व्रत करते हैं और पूरी विधि विधान के साथ गणेश जी की पूजा किया करते हैं। यह तो हम सभी जानते हैं कि गणेश जी का दूसरा नाम विनायक है। इसी कारण शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से बुलाया जाता है। आज की तिथि के अनुसार गणेश जी की पूजा की जाती है। अगर आज आप गणेश जी के पूजा करने जा रहे हैं तो दोपहर तक अपना पूरा कार्य समाप्त कर लेना चाहिये और साथ में इस बात का ध्यान रखें कि आज के दिन आप कोई भी चांद का दर्शन ना करें। आज हम आपको बताएंगे कि गणेश जी की पूजा करने का सही समय और क्या-क्या विधि होनी चाहिए।

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Aastha : विनायक चतुर्थी 2022 शुभ मुहूर्त

कार्तिक शुक्ल चतुर्थी तिथि का प्रारंभ: चतुर्दशी का सही मुहूर्त आज सुबह 10:33 से शुरू हो जाएगा।

कार्तिक शुक्ल चतुर्थी तिथि का समापन: चतुर्दशी समाप्ति का समय कल यानि की 29 अक्टूबर की सुबह के 8:13 पर समाप्त हो जाएगी।

गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त : गणेश जी की पूजा करने का शुभ मुहूर्त आज सुबह 10:18 से शुरू होकर 1:12 पर समाप्त हो जाएगी।

सर्वार्थ सिद्धि योग: स्वार्थ सिद्धि योग आज के दिन सुबह के 6:10 पर शुरू हो कर 10:42 तक ही रहेगा और देखा जाए तो आज चांद उगने का समय 9:42 का है।

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Aastha : विनायक चतुर्थी का व्रत और विधि

आज सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से नियुक्त होकर गणेश जी की पूजा करें और व्रत करने का संकल्प करें।

शुभ मुहूर्त का पता करने के बाद एक चौकी रखें और उस पर साफ लाल रंग का कपड़ा बिछाए और उस पर गणेश जी की तस्वीर या फिर मूर्ति को स्थापित करें।

मूर्ति को स्थापित करने के बाद गणेश जी का गंगाजल से स्नान करें। फिर चंदन, वस्त्र, लाल फूल, धूप, दीप, मेघा, पान का पत्ता, सुपारी, छोटी इलायची, मिठाई, फल, मोदक इत्यादि चढ़ाएं।

जैसे जैसे आप गणेश जी को सभी चीजें अर्पण करेंगे उस दौरान ओम गण गणपतए नमः का मंत्र उच्चारण भी करते रहे। सारी चीजें अर्पण करने के बाद आप गणेश चालीसा पढ़े और व्रत कथा का पाठ करें।

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गणेश जी की आरती के दौरान घी का दीपक जलाएं और गणेश जी की विधि पूर्वक आरती गाना शुरू कर दें। आरती हो जाने के बाद आप गणेश जी से क्षमा याचना करें ताकि आपसे जो कोई भी गलती हो उसे गणेश जी माफ कर दे।

गणपति बप्पा से आप अपनी मन की सारी मुरादें कहीं और पूरे दिन सिर्फ फलाहार का ही सेवन करें। फिर रात के वक्त मीठा भोजन कर अपने व्रत को समाप्त करें।

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