Sankashti Chaturthi 2023 : जाने संकष्टी चतुर्थी व्रत क्या होता हैं?पढ़े पूजा करने की विधि तथा शुभ मुहूर्त
Sankashti Chaturthi 2023 : मानयता है कि संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन भगवान गणेश की उपासना करने से सभी दुख और कष्ट दूर हो जाते हैं और व्यक्ति को बल, बुद्धि और ज्ञान का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन चंद्र दर्शन और पूजा को भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस विशेष दिन पर सुहागिन महिलाएं परिवार के कल्याण और समृद्धि के लिए व्रत का पालन करती हैं। आइए जानते हैं फाल्गुन मास में किस दिन रखा जाएगा संकष्टी चतुर्थी व्रत।
संकष्टी चतुर्थी व्रत तिथि और शुभ मुहूर्त–
फाल्गुन शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का प्रारंभ: | 09 फरवरी 2023, गुरुवार प्रातः 04 बजकर 53 मिनट से |
चतुर्थी तिथि का समापन: | 10 फरवरी 2023, शुक्रवार प्रातः 06 बजकर 28 मिनट तक |
संकष्टी चतुर्थी चाद्रोदय समय: | 09 फरवरी रात्रि 09 बजकर 13 मिनट पर |
ब्रह्म मुहूर्त: | 09 फरवरी प्रातः 04 बजकर 29 मिनट से 05 बजकर 14 मिनट तक |
संध्या पूजा शुभ मुहूर्त: | शाम 06 बजकर 58 मिनट से रात्रि 08 बजकर 34 मिनट तक |
पूजा की विधि –
-ब्रह्म मुहूर्त में स्नान-ध्यान करें और सूर्य देव को अर्घ्य अवश्य दें.
-व्रत का संकल्प लें और भगवान गणेश की विधिवत पूजा करें.
-पूजा काल में गणपति जी को गंध, पुष्प, धूप, दीप इत्यादि अर्पित करें, साथ ही विघ्नहर्ता को लड्डू या भोग लगाएं.
-भगवान गणेश की आरती करें और गणेश मंत्र का जाप भी करे.
-दूव घास जरूर से चढ़ाये और ध्यान रहे की पूजा में तुलसी का प्रयोग बिलकुल भी न करे.
चतुर्थी व्रत रखने के फायदे –
-चतुर्थी का व्रत रखने से सभी तरह की मानसिक बेचैनी समाप्त हो जाती है।
-यदि कोई कामना पूर्ण नहीं हो रही है तो चतुर्थी का व्रत रखना चाहिए। गणेशजी व्यक्ति की मनोकामनाओं को पूरा करते हैं।
-चतुर्थी के दिन गणेशजी को दूर्वा चढ़ाकर विशेष पूजा की जाती है। ऐसा करने से परिवार में समृद्धि बढ़ती है।
-विवाह में आ रही बाधा को दूर करने के लिए भी चतुर्थी का व्रत रखकर विधिवत पूजा की जाती है।
-संतान संबंधी कोई परेशानी हो तो चतुर्थी का व्रत रखने से यह परेशानी दूर हो जाती है।
-चतुर्थी के दिन गणपति की पूजा करने से घर से नकारात्मक प्रभाव दूर होते हैं।
-चतुर्थी का व्रत रखने से सुख-सौभाग्य के साथ आयु वृद्धि होती है।
शास्त्रों में बताया गया है कि चतुर्थी तिथि के चंद्र दर्शन के बिना व्रत का पारण नहीं किया जाता है। मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी चंद्र दर्शन करने से आरोग्यता और उज्जवल भविष्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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