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Agriculture : केंद्र ने पराली जलाने की घटनाओं पर जताई चिंता, AAP सरकार पर किया वार

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Agriculture : किसान अब खरीद की कटाई पूरी कर चुके हैं और अगली फसल की तैयारी कर रहे हैं. लेकिन इसके लिए वह अपने खेतों में उगी हुई पराली को जलाकर नष्ट कर रहे हैं. इससे दिल्ली-एनसीआर सहित आसपास के राज्यों में प्रदूषण का स्तर भी काफी बढ़ चुका है. जिसे लेकर केंद्र सरकार ने पंजाब सरकार के ऊपर निशाना साधा है. केंद्र सरकार के मंत्री भूपेंद्र यादव ने चिंता जताते हुए कहा है कि पंजाब सरकार पराली जलाने की घटनाएं रोकने के लिए कोई खास कदम नहीं उठा रही है.

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Agriculture: पंजाब की स्थिति भयावह

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने इस मामले में चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि पंजाब सरकार खेत में पराली जलाने की घटनाओं पर कोई रोक नहीं लगा पाई है. इसके अलावा नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि हरियाणा में पुआल प्रबंधन की स्थिति पंजाब राज्य की तुलना में काफी अच्छी है. इस पर बयान जारी कर कहा गया है कि पिछले साल 15 अक्टूबर तक कम प्रदूषण था और इस बारिश में तेजी देखी गई है. विशेष तौर पर पंजाब राज्य में यह स्थिति काफी भयावह हो रही है.

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Agriculture : मुख्य सचिव को दिए निर्देश

केंद्र सरकार ने पंजाब के मुख्य सचिव को पराली जलाने और आग की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए निर्देश जारी किए हैं. केंद्र ने कहा है कि पिछले साल की तुलना में राज्य में खेतों में पराली जलाने की घटनाएं 50% तक कम की जानी चाहिए. इसके अलावा पंजाब और हरियाणा राज्य में हो रही फसल अवशेष प्रबंधन मशीनों की डिलीवरी में भी देरी हो रही है. जिस पर भी केंद्र ने अपनी चिंता व्यक्त की है.

Agriculture : किसान लगाते हैं खेतों में आग?

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में धान की पराली जलाने से वायु प्रदूषण बढ़ जाता है. अगली फसल की तैयारी करने से पहले किसान जल्दबाजी में पराली को जलाने लग जाते हैं.

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Agriculture : पराली जलाने की घटनाओं के आंकड़े

पंजाब और हरियाणा हर साल 27 मिलियन टन धान के पुआल पैदा कर देते हैं. यह अनुमान सरकारी आंकड़ों के अनुसार बताया गया है. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के अनुसार पिछले साल पंजाब में 15 सितंबर से लेकर 30 नवंबर तक 71,304 खेतों में आग लगी थी. इसके अलावा 2020 में इसी समयावधि में 8002 खेतो में पराली जलाई गई थी.

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