नेत्रहीन व्यक्ति ने ब्रेल भाषा में किताबों का किया अनुवादन, UPSC पास कर बना IAS
Education: किसी ने सच ही कहा है कि जो इंसान अपनी कमियों को ताकत बना लेता है उसे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता. हम आपको ऐसे ही एक व्यक्ति की कहानी बताने जा रहे हैं, जिसने अपनी कमजोरी को ताकत बना कर इतिहास रच दिया. आज तक आपने कई आईपीएस और आईएएस ऑफिसर्स की कहानी सुनी होगी. लेकिन हम जिस के बारे में बात कर रहे हैं वह कहानी है, हाल ही में आईएएस बने बाला नागेंद्रन की. इन्होंने अपनी कमियों पर काम करके सफलता हासिल की है. इनकी कहानी दिव्यांग लोगों के लिए प्रेरणादायक है.
जन्म से ही नेत्रहीन :- तमिलनाडु के बाला नागेंद्रन जन्मजात नेत्रहीन है. लेकिन उन्होंने अपनी इस कमी का फायदा उठाया और कभी भी कमजोर महसूस नहीं किया. इसीलिए आज वह सफलता के इस मुकाम पर हैं.
पिता है टैक्सी ड्राइवर :- इन्होंने अपने स्कूल की पढ़ाई पैतृक स्थान से ही पूरी थी उसके बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए चेन्नई चले गए. इन्होंने चेन्नई के लोयला कॉलेज से B.Com की डिग्री प्राप्त की है. उनके पिताजी भारतीय सेना के रिटायरमेंट ऑफिसर हैं. लेकिन घर परिवार का पेट पालने के लिए उन्होंने रिटायरमेंट के बाद टैक्सी चलाना शुरु कर दिया.
किताबों को ब्रेल लिपि में किया अनुवादित :- बाला नागेंद्र नेत्रहीन होने के बाद भी पढ़ाई में अव्वल आते थे. उनकी पढ़ाई में रुचि को देखकर एक टीचर ने सिविल सर्विसेज की तैयारी करने की उनको सलाह दी. इसके बाद बाला ने यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी और आईएएस बनने का सपना संजोया. इसके लिए उन्होंने जरूरी किताबें लेकर उन्हें ब्रेल लिपि में अनुवादित किया. इस काम में उन्हें काफी ज्यादा मेहनत करनी पड़ी. लेकिन उन्होंने हार ना मानकर कोशिश जारी रखी. इसी कारण आज वो इस मुकाम पर हैं.
सिर्फ एक नंबर से चूके :- बाला नागेंद्रन को आईएएस बनने के लिए काफी सारी परेशानियों का सामना करना पड़ा. उन्हें परीक्षा देने के लिए शारीरिक, मानसिक परेशानियों के साथ आर्थिक संकट का भी सामना करना पड़ा. इसके बाद में नौवीं बार में उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा पास की. साल 2017 में उन्होंने आठवीं बार यूपीएससी की परीक्षा दी, जिसमें केवल एक नंबर से वह पीछे रह गए. इसके बाद उन्होंने अपनी मेहनत को दोगुना कर दिया और साल 2019 में उन्होंने 659 वीं रैंक से परीक्षा पास की और आईएएस बने.
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