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Ganesh Chaturthi: ये है विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश के जन्म की कहानी, मां पार्वती के मेल से ऐसे हुआ जन्म

Ganesh Chaturthi

Ganesh Chaturthi: सब दुखों को दूर करने वाले सुखकर्ता श्री गणेश जी का जन्म दिवस आने वाला है. गणेश चतुर्थी के दिन को उनके जन्म के रूप में मनाया जाता है. आज हम आपको उनके जन्म की कहानी के बारे में बताएंगे. यह तो सभी जानते हैं कि माता पार्वती, भगवान शंकर की पत्नी हैं. माता पार्वती को किसी भी काम की जरूरत होती है तो वह भगवान शिव के किसी गण को उस काम के लिए भेज देती हैं या फिर उससे वह काम करवा लेती हैं.

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मां पार्वती की दो सहेलियां जया और विजया थी. वह जब भी भगवान शिव की सेवा करके खाली हो जाती तो मां पार्वती उन्हें अपने पास बैठा ली थी और बातें करती रहती थी. उन दोनों सखियों ने ही मां पार्वती को उन्हें अपना ही गण बनाने की बात की थी. इस पर मां पार्वती ने शिवजी के गणों के बारे में बात करते हुए कहा कि उनका कोई भी गण मेरा काम कर देगा. तो मुझे खुद का गण बनाने की क्या जरूरत है? सखियों ने कहा कि वह तो पहले भगवान शिव की आज्ञा का पालन करेंगे. इसलिए आपके काम को हटाने के लिए कोई भी बहाना बना देंगे. इतनी बात कर कर दोनों अपने अपने काम पर चली गई.

Ganesh Chaturthi : शिवजी की इस गलती पर महसूस हुई गण की कमी

एक दिन मां पार्वती स्नान करने जा रही थी और उन्होंने भगवान शिव के गण नंदी को द्वार पर खड़ा कर दिया. नंदी से उन्होंने किसी को भी अंदर आने के लिए मना करने के लिए कहा और स्नान करने अंदर चली गई. इसके कुछ देर बाद ही भगवान शिव वहां आए. नंदी ने उन्हें अंदर जाने से रोका. लेकिन जरूरी काम बता कर वह अंदर चले गए. भगवान शिव को अचानक अंदर आया देख मां पार्वती ने शर्म से पीछे हट गई. भगवान शंकर अपना काम करके वापस चले गए. इसके बाद मां पार्वती को अपनी सहेलियों की बात याद आई. उन्हें महसूस हुआ कि अगर मेरा गण होता तो भगवान शिव को अंदर नहीं आने देता.

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Ganesh Chaturthi : ऐसे हुआ भगवान गणेश का जन्म

इस घटना के बाद माता पार्वती को ऐसा लगा की नंदी ने मेरी आज्ञा की अवहेलना की है. भगवान शिव के गणों पर मेरा पूर्ण रुप से अधिकार नहीं है. इसलिए मेरा खुद का एक गण होना चाहिए. ऐसा विचार करके उन्होंने अपने शरीर के मेल से एक ऊर्जावान और महाबली बालक की रचना कर डाली. इस बालक में कोई दोष नहीं था. वह बहुत ही सुंदर और सभी गुणों से संपन्न, महाबली और पराक्रमी था. माता पार्वती ने उन्हें वस्त्र आभूषणों से सुसज्जित किया. इसके बाद उन्होंने पुत्र कहते हुए उन्हें विनायक का नाम दिया.

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