Himachal News: हिपा में Capacity Building Commission की पहली वर्कशॉप का आयोजन
महिलाएं स्वास्थ से जुड़ी समस्याओं को लेकर बात करने में संकोच करती हैं। जैसे कि गर्भावस्था, स्तन कैंसर, बाल स्वस्थ्य, मासिक धर्म, मानसिक स्वास्थ्य आदि।इस समस्या का समाधान महिलाओं को अपने स्वास्थ से जुड़ी जानकारी के साथ शिक्षित करने और उन्हें समस्याओं के बारे में संवेदनशील बनाने में है।
चेयरमेन निशा मेडम एवं HAS ज्योति राणा
अंजलि त्यागी
हिमाचल प्रदेश लोक प्रशासन प्रशिक्षण संस्थान के द्वारा शिमला में राष्ट्रीय स्तर मिशन कर्म योगी कार्यक्रम के तहत हिपा में Capacity Building Commission की पहली वर्कशॉप का आयोजन किया गया जिसमें महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर हिमाचल प्रदेश के 150 WCD और CRP को प्रशिक्षण दिया गया। इस वर्कशॉप में मुख्य रूप से Capacity Building Commission की चेयरमैन निशा मैडम मुख्य रूप से उपस्थित रहे इस दौरान उन्होंने कहा कि कैपेस्टी बिल्डिंग कमीशन (Capacities Building Commission) एक ऐसा आयोजन है जिसमें विभिन्न संगठनों और संस्थाओं के लिए विभिन्न क्षमता निर्माण कार्यक्रमों का विकास किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य संगठनों को समुदायों और समाज की सेवा करने के लिए तैयार करना है।
अब महिला करेंगी खुल कर अपने स्वस्थ पर बातें
इस कैपेस्टी बिल्डिंग कमीशन अपने कार्यक्रमों के माध्यम से संगठनों को उनकी आवश्यकताओं और विशिष्टताओं के अनुसार तैयार करता है। यह संगठनों को उनकी स्वयं की पहचान बनाने और उन्हें स्थायी रूप से समाज सेवा करने के लिए तैयार करने के लिए सहायता प्रदान करता है। आज शिमला में इसकी पहली वर्क शॉप का आयोजन किया गया है जिसमें CRP और ICDS को प्रशिक्षित किया गया है. उन्होंने कहा कि केपेस्टी बिल्डिंग कमीशन संगठनों को विभिन्न क्षेत्रों में काम करने के लिए विभिन्न कौशल और उनके संगठनों के साथ अधिक समझौते करने में मदद करता है। इसका एक अहम उद्देश्य यह है कि संगठन वास्तविक समस्याओं को खोजें, उन्हें समझें और उनके समाधान के लिए एक सामान्य रूप से संगठित तरीके से काम करें।
महिलाएं स्वास्थ से जुड़ी समस्याओं को लेकर आज भी झिझकती है
वही इस बारे में जानकारी देते हुए वर्कशॉप Capacity Building Commission की नोडल ऑफिसर एवं HIPA की सह निदेशक HAS ज्योति राणा ने बताया कि आज इस वर्अकशॉप में महिलाओं को उनके स्वास्थ के प्रति जागरूक करने हेतु प्रशिक्षण दिया गया है, उन्होंने कहा कि महिलाएं स्वास्थ से जुड़ी समस्याओं को लेकर बात करने में संकोच करती हैं। उन्हें ऐसा महसूस होता है कि वे अपनी समस्याओं के बारे में बात करने से लोगों को बेचैन करेंगी और उनका समस्याओं को नजरअंदाज कर दिया जाएगा।
इस संकोच से महिलाओं के लिए कई तरह के स्वास्थ संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैसे कि गर्भावस्था, स्तन कैंसर, बाल स्वस्थ्य, मासिक धर्म, मानसिक स्वास्थ्य आदि।इस समस्या का समाधान महिलाओं को अपने स्वास्थ से जुड़ी जानकारी के साथ शिक्षित करने और उन्हें समस्याओं के बारे में संवेदनशील बनाने में है। महिलाओं को उनके स्वास्थ से जुड़ी जानकारी के बारे में शिक्षित करने के लिए स्थानीय लोगों को जागरूक किया जाना बहुत जरुरी है.
समुदाय के लोगों को इस समस्या के बारे में जागरूकता जरुरी
उन्होंने कहा कि स्वास्थ समस्याओं से जुड़ी जानकारी को अपने समुदाय में बांटने और इसके लिए जागरूकता अभियान चलाने की भी जरूरत है। समुदाय के लोगों को इस समस्या के बारे में जागरूक करने, उन्हें आवश्यक जानकारी और समर्थन प्रदान करने के लिए संगठित किया जा सकता है। स्वास्थ से जुड़ी जानकारी के बारे में समूह में बात करना और अपनी स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं को साझा करना महिलाओं को उनकी समस्याओं को समझने और इसके समाधान के लिए संभवतः अधिक सक्षम बनाता है।
स्वास्थ को लेकर संज्ञानशील बने महिलाएं
अधिकतर स्थानों पर स्त्रियों के लिए स्वास्थ संबंधी सुविधाओं और सेवाओं की कमी देखी जाती है। इसलिए संबंधित सरकारी विभागों और संगठनों से महिलाओं के लिए स्वास्थ संबंधी सुविधाओं और सेवाओं के विस्तार की मांग की जा सकती है।इस तरह की वर्कशॉप और स्वस्थ महिलाओं के लिए जागरूकता अभियान चलाना, समस्याओं को समझना और समाधान के लिए संवेदनशील होना महिलाओं को अपने स्वास्थ को लेकर संज्ञानशील बनाता है।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थान (HP Institute of Public Administration – HPIPA) हिमाचल प्रदेश सरकार की एक प्रशासनिक संस्था है, जो विभिन्न प्रशासनिक अधिकारियों, कर्मचारियों और समस्त स्तरों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदान करती है। यह संस्थान प्रशासनिक प्रशिक्षण, विदेशी प्रशासन, संगठनात्मक विकास, संगठन संचालन, सामाजिक संगठन, जीवन योजना, पर्यटन और जल संसाधनों के प्रबंधन जैसे कई क्षेत्रों में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करता है। इसके अलावा, संस्थान भी अनुसंधान कार्यक्रम और परियोजनाओं को भी संचालित करती है। जोकि अब Capacity Building Commission के तहत ब्लाक स्तर और पंचायत स्तर पर विभागों को प्रिशिक्षण देगा.
Integrated child Development service(ICDS) की होगी मुख्य भूमिका
ICDS (Integrated Child Development Services) सुपरवाइजर का काम होता है ICDS कार्यक्रम के अंतर्गत बच्चों, गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं के संबंध में संचालन, निरीक्षण, निगरानी और मॉनिटरिंग करना है, सुपरवाइजरों को केंद्र सरकार के द्वारा स्थापित ICDS केंद्रों का प्रशासनिक और वित्तीय प्रबंधन करना होता है। इन केंद्रों में, सुपरवाइजर नवजात शिशु और बालकों की स्थिति की निगरानी करते हैं, और उन्हें सही पोषण और स्वास्थ्य सेवाओं का वितरण करते हैं। इसके अलावा, वे स्थानीय समुदाय को स्वास्थ्य संबंधी जानकारी देते हैं और समुदाय के बच्चों और महिलाओं की स्थिति के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाते हैं। इसके अलावा, सुपरवाइजर द्वारा एक रिपोर्टिंग सिस्टम होता है जिसमें वे आवश्यक जानकारी जमा करते हैं, जैसे कि बच्चों के स्वास्थ से जुड़ी जानकारी और उनके पोषण से संबंधित विवरण की जानकारी देना.
Communicating Resource Person (CRP) निभाएंगे बड़ी जिम्मेदारी?
विभिन्न समूहों, संगठनों और संस्थाओं के बीच संचार बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण व्यक्ति होता है। ये व्यक्ति संगठन या संस्था के अंदर भी हो सकते हैं या उनके बाहर जोड़दार या साझेदारों के लिए काम करते हैं। संगठनों के बीच संचार बनाए रखना: CRP संगठनों, समूहों और संस्थाओं के बीच संचार बनाए रखने के लिए काम करते हैं। इसमें शामिल होता है, इंटरनेट, ईमेल, टेलीफोन, सामाजिक मीडिया और अन्य माध्यमों का उपयोग करना। नए संगठनों और संस्थाओं के साथ संपर्क स्थापित करना: CRP नए संगठनों और संस्थाओं के साथ संपर्क स्थापित करते हुए, उनके बारे में जानकारी देते हुए, उन्हें सहायता प्रदान करते हुए और उनकी मदद करते हुए उन्हें उनके काम के लिए उपयुक्त संसाधनों तक पहुंचने में मदद करते हैं।