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Kedarnath on Mahashivratri : महाशिवरात्रि के दिन मिला भक्तों को उनके आराध्य से आशीर्वाद..

Kedarnath on Mahashivratri : आज महाशिवरात्रि हैं और ऐसे में भक्तों को अगर शिव का आशीर्वाद मिल जाये तो फिर बात ही क्या हो.यह एक ऐसा आशीर्वाद हैं जो शायद आज बिना मांगे मिला हैं.दरअसल,25 अप्रैल को बाबा केदार के द्वार भक्तों के लिए खोल दिए जाएंगे. आज महाशिवरात्रि पर केदारानाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि तय हुई हैं.वहीं विश्व प्रसिद्ध बदरीनाथ धाम के कपाट इस वर्ष 27 अप्रैल को सुबह 7 बजकर 10 मिनट पर खुलेंगे.

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क्या हैं बद्रीनाथ की कहानी? कैसे भगवान शिव बद्रीनाथ में वास करने लगे?
कहा जाता हैं की श्री विष्‍णु की इस भूमि में यानी कि बद्रीनाथ में पहले भगवान भोलेनाथ का निवास स्‍थान था. शिव यहां पर अपने परिवार के साथ वास करते थे. लेकिन एक दिन भगवान विष्‍णु जब ध्‍यान करने के लिए स्‍थान की खोज में थे तो उन्‍हें यह स्‍थान दिखाई दिया. यहां के वातावरण को देखकर वह मोहित हो गए. लेकिन वह जानते थे कि यह तो उनके आराध्‍य का निवास स्‍थान है. ऐसे में वह उस जगह पर कैसे निवास करते. तभी प्रभु के मन में लीला का विचार आया और उन्‍होंने एक बालक का रूप लेकर जोर-जोर से रोना शुरू कर दिया. कुछ ही देर में मां पार्वती की नजर उनपर पड़ी तो वह बालक को चुप कराने का प्रयास करने लगीं। लेकिन वह तो चुप ही नहीं हो रहा था.

इसके बाद माता उसे लेकर जैसे ही भीतर प्रवेश करने लगी भोलेनाथ समझ गए कि यह तो श्री हरि हैं. उन्‍होंने मां पार्वती से कहा कि बालक को छोड़ दें वह अपने आप ही चला जाएगा. लेकिन मां नहीं मानी और उसे सुलाने के लिए भीतर लेकर चली गईं. जब बालक सो गया तो मां पार्वती बाहर आ गईं. इसके बाद शुरू हुई विष्‍णु की एक और लीला. उन्‍होंने भीतर से दरवाजे को बंद कर लिया और जब भोलेनाथ लौटे तो भगवान विष्‍णु ने कहा कि यह स्‍थान मुझे बहुत पसंद आ गया है. अब आप यहां से केदारनाथ जाएं, मैं इसी स्‍थान पर अपने भक्‍तों को दर्शन दूंगा. इस तरह शिवभूमि भगवान विष्‍णु का धाम बद्रीनाथ कहलाई और भोले केदारनाथ में निवास करने लगे.

इस साल 27 अप्रैल को खुलेगा भगवान का कपाट-

विश्व प्रसिद्ध बदरीनाथ धाम के कपाट भी इस वर्ष 27 अप्रैल को सुबह 7 बजकर 10 मिनट पर खुलेंगे। बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर टिहरी में नरेंद्रनगर के राजमहल में धाम के कपाट खुलने की तिथि तय की गई। समारोह में पंचांग गणना के बाद विधि विधान के साथ कपाट खुलने की तिथि तय की गई। वहीं, गाडू घड़ा की तेल कलश यात्रा 12 अप्रैल को निकाली जाएगी। इस अवसर पर टिहरी राजपरिवार सहित बदरी-केदार मंदिर समिति, डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत के पदाधिकारी व बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।

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