OPS Pension Scheme 2023: फिर से बहाल होगी पुरानी पेंशन योजना?
सार …
वित्त मंत्री ने 22 मार्च 2023 को NPS की समीक्षा समिति का गठन किया, इस समिति के गठन का मुख्य उद्देश्य NPS योजना के प्रभाव को मूल्यांकन करना है और उसे सुधारने के लिए सुझाव पेश करना है। समिति विभिन्न विषयों पर विचार करने वाली है, जिसमें नए स्कीम को लेकर विस्तृत चर्चा भी शामिल हो सकती है। इस समिति के गठन के बाद कयास लगाये जा रहें है कि जल्द ही सरकार पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने का मन बना सकती है. हालाकिं कोंग्रेस शासित राज्यों में पुरानी पेंशन योजना बहाल हो चुकी है जिसका दबाव केंद्र पर बना हुआ है, हिमाचल प्रदेश में तो सत्ता गंवाने के पीछे का मुख्य कारण ही OPS को माना जा रहा है. जिसके बाद सरकार द्वारा NPS को लेकर ये समिति गठित की गई है. हालाकिं केंद्र के कर्मचारी इस समिति के गठन से काफी खुश है, और कयास लगा रहें है कि सरकार फिर से OPS को बहाल कर सकती है
आखिर क्यों किया गया NPS समिति का गठन?
NPS योजना को लेकर देश भर में कर्मचारियों में रोष पनप रहा है जिसको लेकर ये समिति उन सभी बिन्दुओं पर काम करेगी जिससे इस योजना को और भी आकर्षित बनाया जा सकें. वित्त मंत्री द्वारा गठित NPS समिति नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) की समीक्षा करेगी और उसे सुधारने के लिए सुझाव देगी। समिति नवंबर 2023 तक अपनी रिपोर्ट जमा कर सकती है। समिति की रिपोर्ट नेशनल पेंशन सिस्टम को सुधारने और कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए सरकार को सुझाव देने में मदद करेगी। NPS समिति का मुख्य काम निम्नलिखित है:
- संदर्भित कर्मचारियों की समस्याओं का जांच-पड़ताल करना और निवेदन के आधार पर उन्हें हल करने की संभावनाओं की जाँच करना।
- कर्मचारियों को NPS में शामिल होने के फायदों और उससे जुड़ी समस्याओं का जांच-पड़ताल करना।
- नई पेंशन योजनाओं के विकास के लिए सुझाव देना
सरकार ने OPS बंद कर क्यों शुरू की NPS योजना ?
पुरानी पेंशन योजना को बंद करने का एक मुख्य कारण यह था कि यह एक Defined Benefit (DB) पेंशन योजना थी जिसमें कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद एक निश्चित राशि का पेंशन दिया जाता था, जो सरकार द्वारा भुगतान किया जाता था। यह समझ में आता है कि सरकार ने DB पेंशन योजना को बंद कर दिया क्योंकि इससे उसके लिए भुगतान करना मुश्किल था. यह सरकार के वितीय बोझ को बढ़ा रही थी. जिसका विकल्प NPS से निकाला गया. इसके बदले में, सरकार ने 2004 में NPS लॉन्च की, जो Defined Contribution (DC) पेंशन योजना है जिसमें कर्मचारी की सेवानिवृत्ति के बाद एक निश्चित योगदान राशि को जमा किया जाता है, जिसमें सरकार भी एक निश्चित योगदान राशि जमा करती है। इस योजना में कर्मचारी अपने योगदान का चयन अनेक विकल्पों में कर सकते हैं और उनकी परफॉर्मेंस के आधार पर उनका निधि का निवेश करने का विकल्प होता है।, जबकि NPS के तहत DC पेंशन योजना सरकार के लिए अधिक सुस्त थी।
जानियें OPS और NPS में अंतर ?
दोनों पेंशन योजनाओं में कुछ महत्वपूर्ण अंतर होते हैं। पुरानी पेंशन योजना के तहत, एक स्थायी पेंशन राशि प्रदान की जाती है, जबकि नई पेंशन योजना में निजी कंपनियों के द्वारा प्रबंधित निवेशों से मिलने वाली पेंशन की राशि को वृद्धि की जाती है। पुरानी पेंशन योजना में स्थायी निधि की गारंटी होती है, जबकि नई पेंशन योजना में कोई गारंटी नहीं होती है। इसके अलावा, नई पेंशन योजना में पेंशन की राशि वित्तीय बाजार के आधार पर बदलती है, जबकि पुरानी पेंशन योजना में अधिकांश रूप से स्थायी रूप से निर्धारित होती है। अधिकांश लोगों के लिए नई पेंशन योजना एक अच्छा विकल्प हो सकता है, जबकि कुछ लोग पुरानी पेंशन योजना को अधिक विश्वसनीय मानते हैं। एक व्यक्ति को अपने व्यक्तिगत जरूरतों और वित्तीय लक्ष्यों के आधार पर दोनों योजनाओं की जांच करनी चाहिए।
जानियें आखिर कर्मचारी NPS से इतना असंतुष्ट क्यों है ?
NPS के कुछ दुष्प्रभावों को लेकर कर्मचारियों NPS पसंद नहीं कर रहे हैं। इनमें से कुछ मुख्य हैं:
- न्यूनतम गारंटी राशि कम हो सकती है: NPS में, कर्मचारी अपनी जीवनकाल के लिए उपलब्ध न्यूनतम गारंटी राशि की जगह निवेशक जोखिम और लाभ के आधार पर धन निवेश करते हैं। इस वजह से न्यूनतम गारंटी राशि में कटौती हो सकती है जो कि कर्मचारियों को नुकसान पहुंचा सकती है।
- निवेशक का जोखिम: NPS में निवेशक अपने निवेश के लिए स्वयं ज़िम्मेदार होते हैं और उन्हें समझना चाहिए कि उनके निवेश के लिए कैसे रिस्क लेने होंगे। कुछ कर्मचारी यह नहीं चाहते हैं कि वे इस तरह के जोखिम के साथ अपने भविष्य का निर्माण करें।
- व्यक्तिगत स्तर पर की जाने वाली जिम्मेदारी: NPS में, कर्मचारी खुद निवेश और निर्णय लेते हैं जो कि उनके व्यक्तिगत स्तर पर की जाने वाली जिम्मेदारी होती है। इसमें अपने निवेश पोर्टफोलियो को निर्माण करना शामिल रहेगा.
सरकारी कर्मचारी क्यों चाहतें है OPS बहाल हो?
कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने का मुख्य कारण यह है कि यह कर्मचारियों को एक सुरक्षित भविष्य की जानकारी देती है। पुरानी पेंशन योजना के तहत, कर्मचारी नियमित अंतराल पर एक निश्चित राशि का भुगतान करते हैं जिसके बाद वे सेवानिवृत्त होने पर एक नियमित मासिक पेंशन प्राप्त करते हैं। इसके बारे में निश्चितता होने से कर्मचारियों को अपने भविष्य की चिंता कम होती है और वे अपनी पोषण और सुरक्षा की योजना बना सकते हैं। वे इससे लाभान्वित होते हैं और अपने परिवार के लिए भी एक सुरक्षित भविष्य निर्माण कर सकते हैं।
कुछ कर्मचारी इसलिए पुरानी पेंशन योजना को बहाल करवाना चाहते हैं क्योंकि इसमें उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद निश्चित मासिक भत्ते का लाभ होता है, जो एनपीएस में नहीं होता है। इसके अलावा, पुरानी पेंशन योजना में भुगतानों की निगरानी और सुरक्षा के स्तर में भी कुछ कर्मचारियों के अनुसार एनपीएस से बेहतर होता है। इसके आलावा कुछ कर्मचारी लोग NPS को पसंद नहीं करते क्योंकि इसमें निवेश का पैटर्न उनकी योग्यता, उम्र और रिस्क टोलरेंस के अनुसार नहीं होता है। अधिकतर कर्मचारी लोग एक स्थिर और सुरक्षित वित्तीय स्थिति चाहते हैं, जो पुरानी पेंशन योजना में मौजूद थी। इसके अलावा, कुछ कर्मचारी लोग निजी निवेशों में निवेश करना पसंद करते हैं, जो NPS में उपलब्ध नहीं होता। इन सभी कारणों से, कुछ कर्मचारी लोग पुरानी पेंशन योजना को बहाल करना चाहते हैं।
केंद्र सरकार बहाल कर सकती है OPS योजना ?
सरकार चुनाव जीतने के लिए किसी भी नीति को अपना सकती है!मौजूदा समय में वोटर को आकर्षित कर राजनैतिक पार्टी एडी चोटी का ज़ोर लगा रही है. जबकि OPS को बहल करना केंद्र साकार के अधीन है. 2024 में लोक सभा चुनावों से पहले सरकार इस फ़ैसले को ले सकती है! संभावना यह भी जताई जा रही है कि कांग्रेस शासित राज्यों में OPS बहाल है जिसका भी सीधा दबाव केंद्र सरकार पर माना जा रहा है, ऐसे में भाजपा सरकार कोई भी ऐसा कमज़ोर मुद्दा विपक्ष को नहीं देना चाहेगी जिससे लोकसभा चुनाव में विपरीत असर पड़े. ऐसे में कयास लगाये जा रहें है कि केंद्र सरकार OPS को बहाल कर सकती है. हालांकि, इसके अलावा भी बहुत सारे कारक होते हैं जो इस निर्णय को प्रभावित कर सकते हैं, जैसे कि आर्थिक स्थिति, राजनीतिक वातावरण, संवैधानिक मामले, सामाजिक सुविधाएँ आदि। वही दूसरी तरफ बुद्धिजीवी वर्ग का मानना है कि यह फैसला केंद्र सरकार द्वारा लिया जा सकता है जो देश की राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक स्थिति के आधार पर लिया जाता है। इसलिए, यह निर्णय भारत की सरकार के पास होगा जो न केवल कर्मचारियों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए बल्कि देश के समग्र वित्तीय स्थिति को भी विचार में लेते हुए फैसला लेगी।