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Parashuram: कैसे परशुराम बने भगवान? किसने दिया श्रेष्ठ योद्धा बनने का वरदान? जाने रोचक कथा

Parashuram

Parashuram: आपको हम बता दें ऐसे कई लोग हैं जिन्हें भगवान परशुराम के बारे में कुछ भी नहीं पता है। क्या आप जानते हैं कि परशुराम भगवान किस भगवान के अवतार है। यहां तक कि उनका जन्म कब और कहां हुआ इसका भी किसी को पता नहीं है। आज हम आपको परशुराम जी से जुड़ी कुछ खास बातें बताने जा रहे हैं।

Parashuram: कब हुआ परशुराम का जन्म:

हमारी पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा बताया गया है कि परशुराम का जन्म त्रेता युग में हुआ था और आपको बता दें कि त्रेता युग को रामायण युग के नाम से भी बुलाया जाता है। हमारे हिंदू धर्म के ज्ञानियों का ऐसा कहना है कि परशुराम का जन्म ब्राह्मण परिवार में हुआ था और वैशाख तृतीय शुक्ला को इनका जन्म हुआ। हमारी जानकारी से ऐसा बताया जाता है कि भगवान परशुराम का जन्म मध्य प्रदेश के जनापाव पर्वत पर हुआ था। परशुराम के पिता का नाम जमदग्नि तथा इनकी माता का नाम रेणुका था। ऐसा बताया जाता है कि परशुराम भगवान विष्णु भगवान के छठे अवतार हैं। यहां तक कि परशुराम भगवान का नाम ऋषि जमदग्नि ने रखा था।

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Parashuram: भगवान शिव ने दिया था वरदान:

भगवान परशुराम ने अपनी शिक्षा अपने दादा और पिता से पूरी की थी। यहां तक कि परशुराम को अपने शास्त्र का भी पूरा पूरा ज्ञान था। ऐसा बताया जाता है कि परशुराम को उनकी शास्त्रों की विद्या उनके मामा राजा ऋषि ने दी थी। आप सभी जानते हैं कि परशुराम जी ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए बड़े तप किए थे। भगवान श्री परशुराम की तपस्या को देख कर बहुत ज्यादा प्रसन्न होने से भगवान शिव ने कहा, “मैं तुम्हारी तपस्या से बहुत खुश हुआ हूं, कहो तुम्हें क्या वरदान चाहिए।” तब परशुराम ने भगवान शिव से कहा कि आप मुझे शस्त्र विद्या में निपुण होने का वर दीजिए तथा एक दिव्य अस्त्र प्रदान कीजिए। उस समय भगवान शिव ने परशुराम को कुल्हाड़ी को फरसा दिया और श्रेष्ठ शस्त्र योद्धा बनने का वरदान दे दिया।

Parashuram: ऐसे मिला भगवान का दर्जा :

भगवान शिव से मिले वरदान के कारण ही राम से परशुराम का नाम संबोधित किया जाने लगा। यहां तक कि गुरु द्रोण और भीष्म पितामह, कर्ण ने परशुराम से ही शस्त्र विद्या प्राप्त की थी। पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा बताया जाता है कि परशुराम ने कई अत्याचारी राजाओं को मारकर प्रजा को अत्याचार से मुक्त करवाया था। इसीलिए परशुराम को सभी लोग भगवान परशुराम के नाम से बुलाने लगे। हमारे शास्त्रों में ऐसा लिखा गया है कि परशुराम भगवान ने करीब 21 बार क्षत्रिय वंश का वध किया था।

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