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Peepal Pathawari: कार्तिक महीने में सुने पीपल पथवारी की कहानी, होता है विशेष महत्व

Peepal Pathawari

Peepal Pathawari: हमारे हिंदू धर्म के अनुसार कार्तिक महीने में भगवान विष्णु और तुलसी माता के अलावा कई देवी-देवताओं को पूजा जाता है। इस महीने में पीपल पथवारी की भी पूजा की जाती है। इस पूजा से जुड़ी एक पुरानी प्राचीन कथा भी सुनाई जाती हैं। ऐसा कहा जाता है कि पीपल पथवारी की पूजा करते वक्त इस कहानी को पूरे 1 महीने तक सुना जाता है। आज हम आपको पीपल पथवारी की कथा के बारे में बताएंगे।

Peepal Pathawari: पीपल पथवारी की कथा:

हम आपको सुनाते हैं पीपल पथवारी की कथा में ऐसा बताया जाता है कि एक गूजरी थी। अपनी बहु से 1 दिन दूध दही बेचने के लिए कह दिया था। बहु जब रास्ते में दूध दही बेचने के लिए निकले तो उसे बहुत सी महिलाएं पीपल पथवारी की पूजा करती हुई नजर आई। फिर बहू ने वहां की महिलाओं को पूछा कि तुम किस चीज की पूजा कर रही हो। तब उन में से एक औरत ने कहा कि हम पीपल पथवारी को सींच रहे हैं। औरतों का कहना है कि पीपल पथवारी की पूजा करने से धन की वृद्धि होती है, खोया हुआ पति मिलता है।

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यह बात सुनकर बहू ने कहा कि मैं भी पीपल पथवारी को सींचा करूगी। लेकिन में पानी की जगह दूध और दही से पीपल पथवारी सींचा करूंगी और फिर गूजरी की बहू ने रोजाना पीपल पथवारी को दूध और दही से सिंचना शुरू कर दिया। रोज रोज दूध और दही बेचने आने के बहाने पीपल पथवारी को सींचा करती थी। रोज-रोज सासू मां पूछती थी कि पैसे कहां गए तो बहू कहती थी कि महीने की आखिरी में पैसे मिलेंगे। देखते ही देखते कार्तिक महीना पूरा खत्म हो गया तब गूजरी की बहू पीपल पथवारी के चरणों में गिर गई।

गूजरी बहू को पीपल पथवारी प्रकट हुई और कहा, बोल तुझे क्या चाहिए क्या हो गया? गूजरी बहू ने कहा कि आज पूरा एक महीना खत्म हो गया है और आज मेरी सासू मां मुझसे दूध और दही का पैसा मांगेगी। तब पीपल पथवारी ने कहा कि मेरे पास तो पैसे नहीं है। लेकिन यह पान के पत्ते ले जाओ और अपनी अलमारी में रख देना। बहु ने भी डर के मारे पान के पत्ते अपनी अलमारी में रख दिए और चादर ओढ़ कर सो गई। गूजरी बहू की सास आई और उसने पूछा कि पैसे कहां है? तब बहू ने डरते हुए कहा कि मैं जो भी लाई हूं, वह सब कुछ अलमारी में रखा है।

जैसे ही सास ने अलमारी का दरवाजा खोला वह देखते ही दंग रह गई क्योंकि अलमारी सोने और मोतियों से भर चुकी थी। देखा जाए तो घर में धन का डर लग गया था। इसे देखकर सास ने जोर से बहू को आवाज लगाई और पूछा कि इतना धन कहां से लाई है। बहू ने आकर जैसे ही अलमारी देखी तो सच में अलमारी हीरो से जगमगा उठी थी। तब बहु ने अपनी सास को सारी बातें बता दी।

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बहू की बात सुनकर सास ने कहा कि अब मैं भी पीतल पथवारी को सींचा करूगी। लेकिन सास ने दूध दही बेचने पर जब उनकी हांडी खाली हो जाती थी। उसमें पानी डालकर पीपल पथवारी को सींचना शुरू कर दिया और ऐसा करते हुए उन्हें एक महीना बीत गया। आगे चलकर सास ने पीपल पथवारी के चरण पकड़ लिए और कहा कि मेरी बहू दूध और दही के लिए पैसे मांग रही हैं। तब पीपल पथवारी ने कहा कि मैं तुझे पता और पत्थर देती हूं।

वह जाकर अलमारी में रख देना सास ने उसी तरह से पान का पत्ता और पत्थर अलमारी में रख दिया। जब बहू ने अलमारी खोलकर देखी तो उसमें कीड़े मकोड़े भरे पड़े थे। अलमारी में कीड़े मकोड़ों को देखकर सब कहने लगे कि सास तो धन की भूखी थी और बहु सत की भूखी थी। इसलिए सास को धन दौलत की जगह कीड़े मकोड़े मिले हैं।

कहानी की समाप्ति में कहा जाता है कि जैसा बहू को पथवारी माता ने धन दौलत दी, वैसी सब को दे और जैसा सास को दिया वैसा किसी को ना दे।

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