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Ram Katha: भगवान श्री ने रावण का मारने के लिए इस अस्त्र का किया था इस्तेमाल, विभीषण ने बताया रावण का मारने का तरीका

Ram Katha

Ram Katha: माता सीता को रावण के जाल से छुड़वाने के लिए प्रभु श्री राम लंका पहुंचे और अश्विन मास की तृतीया तिथि से शुरू होकर दशमी तिथि तक रावण और राम के बीच युद्ध लड़ा गया। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को श्री राम ने रावण का वध कर बुराई पर अच्छाई की विजय हासिल की।

लेकिन अक्सर लोगों के दिमाग में यह प्रश्न रहता है कि भगवान श्री राम ने रावण का वध किस हथियार से किया था। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं, भगवान श्री राम ने रावण का वध अपने धनुष से नहीं बल्कि रावण के धनुष से उसका वध किया था।

Ram Katha: रावण को मारने का तरीका विभीषण ने बताया

शास्त्रों के अनुसार रावण बहुत ज्ञानी और शक्तिशाली था। भगवान श्रीराम के लिए भी उसे मारना काफी ज्यादा मुश्किल था। लेकिन विभीषण ने श्री राम को रावण का मारने का तरीका बताया। विभीषण ने बताया कि उसे एक विशेष अस्त्र से नाभि पर प्रहार करके ही मारा जा सकते हैं। उसके बिना रावण का मरना असंभव है।

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Ram Katha: युद्ध में हैं दो प्रकार के धनुष का जिक्र

राम जी और रावण के बीच चले युद्ध में दो प्रकार के धनुष का जिक्र मिलता है। एक धनुष जो बांस का था और दूसरा धनुष जिसे वह हमेशा साथ रखते थे, इसे कोदंड कहा जाता था। इसे सिर्फ राम जी धारण करते थे। कहा जाता है कि इस धनुष से छोड़ा गया बाण अपने लक्ष्य को भेद कर ही वापस आता है। ऐसे में श्री राम इसका बहुत आवश्यकता होने पर ही इसका प्रयोग करते थे।

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वही रावण को मारने के लिए जिस अस्त्र का इस्तेमाल किया गया था वह दिव्यास्त्र था। विभीषण ने राम जी को इसकी जानकारी दी थी। शास्त्र के अनुसार ब्रह्मा जी ने रावण को दिया था। इस अस्त्र को रावण की पत्नी मंदोदरी के कक्ष में छिपाया गया था। इस अस्त्र को पाने के लिए हनुमान जी ने वृद्ध ब्राह्मण का रूप धारण किया तथा मंदोदरी के कक्ष में पहुंच गए।

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भगवान हनुमान मंदोदरी के कक्ष में पहुंचकर विभीषण ने राम जी का दिव्यास्त्र के बारे में बता दिया,जो आप के कक्ष में रखा है। यह सब उन्होंने वृद्ध ब्राह्मण का वेश धारण किए हुए ही कहा और मंदोदरी से उसे कहीं और छिपाने की बात गई।

हनुमान जी की यह बात सुनकर मंदोदरी घबरा गई और तुरंत उस स्थान से बाण निकाली हनुमान जी शीघ्र अपने ही रूप में आ गए और उन्होंने मंदोदरी से वह अस्त्र छिना और आकाश मार्ग में निकल गए।

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