सोमनाथ: पूरी दुनिया में सबसे पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है सोमनाथ, जाने इससे जुड़ी 5 रोचक बातें
सोमनाथ: ये तो आप सभी जानते हैं कि भगवान शिव के भक्तों की गिनती नहीं की जा सकती। यह भक्त भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तरह-तरह के उपाय भी अपनाते रहते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पूरे भारतवर्ष में भगवान शिव के करीब 12 तीर्थ स्थल है। और तो और इन 12 तीर्थ स्थलों को ज्योतिर्लिंग के नाम से भी बुलाया जाता है। आज हम आपको इन 12 ज्योतिर्लिंग के बारे में कुछ बातें बताने जा रहे हैं। आज हम सबसे पहले ज्योतिर्लिंग के बारे में बात करेंगे जो कि सोमनाथ में है।
हमारी पौराणिक कथाओं में ऐसा बताया गया है कि पहला सोमनाथ मंदिर का निर्माण चंद्रदेव ने किया था। यहां तक कि सोमनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर का उल्लेख ऋग्वेद मे किया गया है। यहां तक कि भगवान शिव का सोमनाथ का मंदिर को हिंदू धर्म के उत्थान और पतन का प्रतीक माना जाता है।
सोमनाथ मंदिर के शिखर की ऊंचाई 150 फीट के करीब है। मंदिर में करीब 10 टन वजनी कलश रखा गया है। यहां तक कि सोमनाथ मंदिर की ध्वजा की ऊंचाई भी 27 फीट के करीब है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सोमनाथ मंदिर को करीब 3 भागों में बांटा गया है। पहला भाग है गर्भ ग्रह, दूसरा भाग है सभा मंडप और तीसरा हिस्सा है नृत्य मंडप। इस मंदिर में भगवान गणेश जी का भी एक छोटा सा मंदिर बनाया गया है। इस मंदिर के परिसर में कई सारी देवियों की भी मूर्ति स्थापित की गई है। जैसे की माता पार्वती, देवी सरस्वती, देवी लक्ष्मी, माता गंगा और नंदी की मूर्ति स्थापित है।
हमारी पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान कृष्ण भगवान ने सोमनाथ में ही अपना ह्रदय त्याग किया था। सोमनाथ मंदिर में आप सुबह 9:00 बजे से लेकर शाम 6:00 बजे तक यह दर्शन कर पाएंगे। सोमनाथ मंदिर में भगवान शिव की करीब 3 बार पूरे दिन में आरती की जाती है। पहली आरती सुबह 7:00 बजे होती है, दूसरी आरती दोपहर के 12:00 बजे और तीसरी आरती शाम के 7:00 बजे की जाती है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सोमनाथ मंदिर के करीब ही प्रभाव नगर के पास गौरीकुंड सरोवर है, जहां पर असंख्य मात्राओं में भक्तों की भीड़ उमड़ी रहती है। यहां तक कि यहां पर एक प्राचीन शिवलिंग भी है। सोमनाथ मंदिर के करीब में ही भगवान विष्णु, माता काली और गणेश जी का भी भव्य मंदिर बनाया गया है।