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Success Story: पिता की मौत के बाद टूटा हौसला, पर हार नहीं मानी, SDM बन पूरा किया पिता का सपना…

Success Story

Success Story: कहते हैं ना जब आप में मेहनत करने की ललक हो और अपनी मंजिल को पाने की दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो एक ना एक दिन आप अपनी मंजिल को पा ही लेते हैं चाहे उसके लिए आपको कितनी ही कठिनाइयों का सामना करना पड़े और कितने ही दुख दर्द सहने पड़े लेकिन सफलता आपके कदमों को चूमती ही है. ऐसी ही एक कहानी प्रयागराज के ट्रांसपोर्ट नगर के रहने वाले प्रवीण द्विवेदी की है प्रवीण द्विवेदी ने यूपीपीएससी एग्जाम में 6वीं रैंक हासिल की है और उन्होंने यह सब कुछ बिना कोचिंग की पढ़ाई के ही हासिल किया है आइए जानते हैं प्रवीण द्विवेदी की कहानी.

Success Story:पिता की हुई आकस्मिक मृत्यु

प्रवीण कुमार द्विवेदी एक मध्यवर्गीय परिवार से आते हैं प्रवीण के पिता स्वर्गीय राजेश चंद्र द्विवेदी यूपी के फतेहपुर में सिंचाई विभाग में एक नलकूप चालक के पद पर कार्य करते थे प्रवीण के पिता की अचानक ही हार्ड अटैक से मौत हो गई उसके बाद प्रवीण का पूरा परिवार बिखर सा गया जिसका असर उनकी यूपीपीएससी की तैयारियों पर भी पड़ा.

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पिता के देहांत के बाद उनका पूरा परिवार फतेहपुर से प्रयागराज के ट्रांसपोर्ट नगर शिफ्ट हो गया अब पिता की मृत्यु के बाद उनकी जगह उनके बड़े भाई सिंचाई विभाग में नौकरी लग गए और पूरा परिवार पिछली जिंदगी को भूलकर आगे की जिंदगी की जद्दोजहद में जुट गया वहीं प्रवीण अपने पिता के सपने को पूरा करने के लिए पढ़ाई में लग गए और उन्होंने जी तोड़ मेहनत की और महज 28 साल की उम्र में यूपीएससी का एग्जाम पास कर एसडीएम बन गए.

Success Story:पिता का सपना किया साकार

प्रवीण कुमार द्विवेदी के पिता का सपना था कि उनका बेटा उनसे भी बड़ा अफसर बने उसी पिता से सपने ने प्रवीण कुमार को मेहनत करने के लिए प्रेरित किया और अपने पिता के सपने को पूरा करते हुए प्रवीण कुमार ने UPPSC की एग्जाम पास कर SDM बने यह सब करने के लिए पवन कुमार ने कई घटनाओं का सामना किया उन्होंने यह सब बिना किसी कोचिंग की सहायता से हासिल किया है. हालांकि वह अपने पिता के चले जाने के दर्द को अभी भी बुला नहीं पाए हैं पिता की आकस्मिक मृत्यु के 6 महीने बाद तक प्रवीण सदमे में रहे और 6 महीने तक सदमे से उबर नहीं पाए थे लेकिन 6 महीने बाद पिता के सपने को पूरा करने के लिए जीतोड़ मेहनत कि और यूपीपीसीएस परीक्षा में 6वीं रैंक हासिल की और अपना और अपने परिवार का नाम रोशन किया।

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