Irrigation News : अप्रैल महीने का उठाये फायदा,लगाए फूल और फल..
Irrigation News : अप्रैल का महीना सेब के बगीचों में अप्रैल का महीना सेब के बगीचों में फूल खिलने तथा फल अवतरण का समय है | साल भर की मेहनत केवल अभी के 15 दिन पर निर्भर करती है| आच्छादन एवं वाफसा द्वारा नमी बनाने पर विशेष ध्याकेन दें। यदि उपलब्ध हो तो घनजीवामृत का प्रयोग करें | जीवामृत का छिड़काव एवं मिट्टी में प्रयोग- दोनों तरीकों से करें | अग्निअस्त्र तैयार रखें एव ज़रूरत पड़ने पर उपयोग करें। अगर अभी तक दलहनी फसल की बगीचे में बिजाई नहीं की है तो बीन्स को बीजने का यह वक्त है तथा यथाशीघ्र इसकी बिजाई करें | एहतियातन खट्टी लस्सी महीने में एक बार जरूर करें| मौसमी बदलावों से पनपने वाली बिमारियों के लिए जरूरत पड़ने पर सोंठास्त्र इस्तेमाल करें और जब मटर के दानों जितना फल विकास हो जाए उस अवस्था में सप्तधान्यांकुर अर्क का छिड़काव जरूर करें |
सेव फल के बगीचे की तस्वीर
छिड़काव के लिए जीवामृत 25-30 लीटर प्रति ड्रम (200 लीटर)
मिट्टी में जीवामृत- 2, 4-5, 5-7 लीटर प्रति पौधा क्रमशः छोटे, मध्यम एवं बड़े पेड़ों के लिए |
अग्निअस्त्र एवं खट्टी लस्सी- 6 लीटर प्रति ड्रम |
घनजीवामृत- 2, 3, 4 किलो प्रति पौधा क्रमशः छोटे, मध्यम एवं बड़े पेड़ों के लिए | सघन खेती में 1 किलो एवं अति सघन खेती में 0.5 किलो प्रति पौधा l
👉मटर में मिल्डयू, विल्ट, ब्लाइट जैसे रोगों की रोकथाम के लिए खट्टी लस्सी (195 ली. पानी में 5ली. खट्टी लस्सी 8-10 दिन पुरानी), जीवामृत जो की एक बहुत अच्छे फकूदनाशक के तौर पर काम करता है, जंगल की कडी व सोंठास्त्र (बिना पानी मिलाए) आदि का इस्तेमाल। पिछले मास की भांति की करें। लीफ माइनर की रोकथाम के लिए दशपर्णी अर्क / अग्निअस्त्र (195 लीटर पानी में 5 लीटर) का इस्तेमाल लाभदायक होता है तथा फूल और फली लगने की अवस्था में सप्तधान्यांकूर अर्क का स्प्रे करें जिससे मटर की फली में पूरा दाना, और चमक आयेगी।
👉गेंहू में सप्तधान्यांकुर अर्क (बिना पानी मिलाए). जीवामृत (170 लीटर पानी में 30 लीटर) और खट्टी लस्सी (195 लीटर पानी में 5 लीटर खट्टी लस्सी 8-10 दिन पुरानी) की स्प्रे करें।
👉 गोभी वर्गीय फसलों, टमाटर और शिमला मिर्च की फसलों में नर्सरी अथवा प्रतिरोपण के बाद जीवामृत से सिंचाई करें और कमर तोड़ रोग की रोकथाम के लिए खट्टी लस्सी का छिड़काव करें। फूलगोभी में कीटों एवं माईट के नियंत्रण के लिए दशपर्णी अर्क/अग्निअस्त्र ( 195 लीटर पानी में 5 लीटर) और खट्टी लस्सी का छिड़काव करें।
👉 बीन्स की बुआई के दौरान 80 कि. ग्राम प्रति बीघा के हिसाब से घनजीवामृत डालें। बीजों को बीजामृत से उपचार, बिजाई से 24 घंटे पूर्व करने के बाद ही लगायें।
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