Sirmour News: कौरवो और पांड्वो का 120 साल बाद होगा मिलन
Sirmour News: सिरमौर के ट्रांसगिरि क्षेत्र में स्थित प्राचीन महासू महाराज के मंदिर में शाठी और पाशी भाइयों का ऐतिहासिक मिलन हिमाचल के इतिहास के पन्नों में आज दर्ज किया जाएगा. जहाँ शाठी कौरव वंशज हैं वही पाशी पांडव वंशज हैं जोकि आज 120 साल बाद हिमालय के पहाड़ों में बसी काली माता का निवास स्थान पर एक दुसरे से मिलेंगे. आपकों बता दें कि कुल देवता महासू महाराज का बेहद सुन्दर और भव्य मंदिर करीब एक साल पहले बनाया गया था. यह मंदिर गांव की सुंदरता को चार चांद लगा रहा है, जहां ठारी माता का शांत पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। तभी से ठारी माता का शांत पर्व इस मंदिर में धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह पर्व प्रतिवर्ष हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है और शनिवार को शाठी और पाशी का अनोखा मिलन इस मंदिर के प्रांगण में होगा। यह मिलन एक विशेष अवसर है, जो 120 साल बाद इतिहास की पुनरावृत्ति के रूप में मान्यता प्राप्त कर रहा है।
लोग विभिन्न पूजा-अर्चना कार्यक्रमों में भाग लेंगे
ठारी माता के शांत पर्व के दौरान, लोग विभिन्न पूजा-अर्चना कार्यक्रमों में भाग लेते हैं और अपनी माता की कृपा और आशीर्वाद की कामना करते हैं। यह पर्व समाज के आदिकाल से आ रही परंपराओं और आचार-व्यवहार को मजबूती से जीवित रखने का प्रमुख स्रोत है। इस धार्मिक समारोह में गीत, नृत्य, पूजा-अर्चना और श्रद्धांजलि की विशेषताएं होती हैं। इस अवसर पर, गांव के लोग एकजुट होकर आपसी सम्बन्धों को मजबूत करते हैं और अपने धार्मिक मूल्यों और संस्कृति के प्रति अपनी अनुभूति और गहरी श्रद्धा प्रकट करते हैं।
अस्त्रों-शस्त्रों का जुलूस निकालकर पर्व का होगा जश्न
भंडारे के आयोजन के दिन, कमरऊ तहसील के गांवों के साथ-साथ पांवटा और रेणुकाजी क्षेत्र के कई गांवों के लोग भी उपस्थित रहेंगे। इसके पश्चात दो जुलाई को होने वाले भंडारे में शिलाई, जौनसार और शिमला क्षेत्र के लोगों के साथ-साथ ठुंडु बिरादरी के हजारों लोग भी शामिल होने की आशा है। पहले ही दिन ग्रामीणों ने अपने अस्त्रों-शस्त्रों का जुलूस निकालकर पर्व का जश्न मनाया।
550 सालों बाद योगेश्वर महादेव भाई शिंगला से मिलने आएंगे
550 साल बाद श्रीकृष्ण के संदर्भ में योगेश्वर महादेव का मिलन आयोजित हो रहा है। जुलाई के 7 तारीख को जिला कुल्लू विकास खंड आनी के एकमात्र कृष्ण मंदिर बटाला में योगेश्वर महादेव भाई शिंगला से मिलने आएंगे, जो कि 550 सालों बाद होगा। यह ऐतिहासिक पल हजारों लोगों के द्वारा साक्षी बने जाएंगे। साढ़े पांच सौ वर्ष पहले ठाकुर मुरलीधर ने मूर्ति स्वरूप और शालीग्राम को बटाला में स्थापित किया था। अब, देवता योगेश्वर महादेव ने अपने भाई मुरलीधर से मिलन की इच्छा जताई है और 7 जुलाई को वे बटाला आएंगे। यहां, दोनों देवताओं का अनूठा मिलन होगा।
बताया गया है कि योगेश्वर महादेव महाराज की उत्पत्ति श्रीमद्भागवत यज्ञ से हुई है। शिंगला नामक गांव को पहले शयपुरी के नाम से जाना जाता था। शयपुरी गांव में एक किसान ने जबरदस्ती खेती करते समय देवता योगेश्वर महाराज का मोहरा पाया था। इसके बाद उस मोहरे को शिंगला नामक रथ में स्थापित किया गया। शिंगला गांव में भगवान परशुराम ने लंबे समय तक विश्राम किया था और वहीं पर शालिग्राम रूप में नृसिंह भगवान और ठाकुर मुरलीधर की स्थापना की गई थी।
इस धार्मिक समारोह के माध्यम से, ठारी माता के मंदिर और पर्व का महत्व और महिमा प्रदर्शित होती है। यहां के लोग अपने जीवन को आध्यात्मिकता और शांति के साथ जीने के मार्ग को ध्यान में रखते हैं और आपसी सम्बन्धों को समृद्ध करते हैं। ठारी माता के मंदिर में शांत पर्व का मनाना लोगों के आत्मविश्वास, समर्पण और सम्पूर्णता को स्थापित करने में मदद करता है।
इस प्रकार, टटियाना के प्राचीन महासू महाराज के मंदिर में आयोजित धार्मिक समारोह न केवल सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है, बल्कि यहां के लोगों को अपने धार्मिक मूल्यों, परंपराओं और संस्कृति के प्रति आदर और गर्व की भावना प्रदान करता है।
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