Ganpati Katha: भगवान विष्णु और ब्रह्मा को क्यों लौटना पड़ा वापस? जानिए क्या हुआ था गणेश जी के साथ प्रसंग…
Ganpati Katha: माता पार्वती ने अपनी सुरक्षा के लिए अपने तन के मेल से विनायक की रचना की. विनायक जी ने द्वार पर आए सभी शिवजी के गणों को युद्ध में हरा कर भगा दिया था. शिव जी के गणों और भगवान श्री गणेश के बीच हुए इस युद्ध का पता देवर्षि नारद के माध्यम से भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी को लगा. ब्रह्मा और विष्णु जी के साथ मिलकर सभी देवता गण भगवान शंकर के पास पहुंचकर उनकी पूजा करने लगे और उनसे पूछने लगे, हे प्रभु, यह क्या लीला हो रही है? यदि हमारे लायक कोईकार्य हो तो तुरंत आदेश करें!
Ganpati Katha: शिव जी ने सुनाई आपबीती
तब भगवान शिव ने ब्रह्मा जी और विष्णु जी को अपनी व्यथा सुनाई. उन्होंने कहा कि मेरे घर के द्वार पर एक छोटा सा बालक छड़ी लिए खड़ा है और मुझे अंदर जाने के लिए मना कर रहा है. वह मुझे घर के अंदर प्रवेश करने ही नहीं देता. उसने मेरे सभी गणों को भी हरा दिया है.
यहां तक कि कुछ के तो अंग भंग हो गए और शरीर से बहुत अधिक खून बह रहा है. कुछ तो अपनी जान भी गंवा बैठे हैं. मुझे तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा कि मैं क्या करूं? अब आप ही कोई उपाय मुझे बताइए.
भगवान विष्णु को उधर जाते हुए देख शिवजी के कुछ गणों ने उन्हें बताया कि माता पार्वती के पुत्र ने हमारी यह दुर्दशा की है, जो बल के मामले में अत्यंत ताकतवर है. उस छोटे से बालक को वश में करना कोई आसान काम नहीं है.
Ganpati Katha: ब्रह्मा और विष्णु ब्राह्मण वेश बनाकर पहुंचे
यह पूरी बात सुन कर भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु जी ब्राह्मण का वेश बनाकर माता पार्वती से मिलने पहुंचे. द्वार पर जाते ही उन्हें देखकर विनायक जी ने अपनी छड़ी उठा ली. तभी भगवान विष्णु जी मधुर वाणी में बोले, “मैं तो एक ब्राह्मण हूं और मेरे पास कोई अस्त्र शस्त्र भी नहीं है.
यह देख कर तुम समझ जाओ कि मैं तुम से युद्ध करने नहीं बल्कि शांति से वार्ता करने आया हूं.” भगवान विष्णु के पीछे चल रहे ब्रह्मा जी ने कहा कि हमारे साथ तो तुम्हें शांति पूर्ण व्यवहार करना चाहिए.
सभी भगवान गणेश बोले कि मेरी कृपा यही है कि, “मैं आप लोगों को शांति से वापस जाने दे रहा हूं. अगर आप शांतिप्रिय लोग है तो यहां से तुरंत वापस लौट जाएं, क्योंकि यह स्थान तो अभी एक युद्ध का मैदान बन चुका है. इस जगह अभी कुछ समय पहले ही युद्ध हुआ है वह देखकर लगता है कि आगे भी युद्ध जारी रहेगा.” इतनी बात सुनकर ब्राह्मण वेश में आए ब्रह्मा और विष्णु वापस लौटने को मजबूर हो गए.