website average bounce rate

Dhanteras 2022: दीपदान के बारे में क्या है प्राचीन मान्यता? क्या सच में रानी बन गई थी चुहिया? जाने पुरी कथा…

Dhanteras 2022

Dhanteras 2022: हमारे हिंदू धर्म में दीपदान करने का एक बहुत बड़ा योगदान माना जाता है। यहां तक कि ऐसा भी कहा गया है कि इसे अकाल मृत्यु से बचने के लिए भी किया जाता है और तो और लक्ष्मी जी को प्रसन्न करना और मोक्ष योग पाने का स्रोत माना जाता है। हिंदू धर्म में दीपदान करने को लेकर कई सारी कथाएं भी हम सुनते आए हैं। बहुत सी कहानियों में एक कथा बहुत ज्यादा सुनी जाने वाली बताई गई है। भविष्य पुराण के दौरान एक चुहिया का राजकुमारी बनने की कथा बहुत समय से सुनी जा रही हैं। आज हम आपको यह कथा विस्तार में सुनाएंगे।

Dhanteras 2022

Dhanteras 2022: दीपदान से रानी बनी चुहिया

भविष्य पुराण में कथा इस तरह की है की चित्ररथ नाम का एक राजा हुआ करता था। चित्ररथ नाम के राजा की सर्वगुण संपन्न एक ललिता नाम की पुत्री थी। चित्ररथ राजा ने अपनी पुत्री का विवाह धर्म का अनुसरण करने वाले राजा, काशीराज चारूधर्मा से करा दे। ललिता राजा की पहली पत्नी थी। ललिता की एक आदत थी कि वह रोजाना विष्णु भगवान के मंदिर में हजारों दीपक जलाया करती थी। खास तौर पर अश्विन, कार्तिक के दौरान ललिता चौराहे, गलियां, मंदिर, पीपल, गौशाला, पर्वत, नदी के तट और कुओं पर हजारों दीपक जलाया करती थी।

Dhanteras 2022

हमेशा ललिता द्वारा किए जाने दीपदान के कारण 1 दिन सभी दासियों ने ललिता से पूछा कि आप इतने सारे दीप क्यों जलाया करती हैं? तब ललिता ने अपने पिछले जन्म की बातें उन दासियों को बताई।

ललिता ने बताया कि पिछले जन्म में वह एक चुहिया थी। ललिता ने बताया कि उस दौरान देविका नदी के पास सुवीर नाम के राजा ने विष्णु भगवान का एक भव्य मंदिर बनाया था। उस मंदिर में राजा के पुरोहित आए दिन दीपक जलाया करते थे। दीपक के साथ-साथ धूप दीप आदि के साथ दीपदान किया करते थे। कहानी सुनाते हुए ललिता ने आगे बताया कि 1 दिन कार्तिक पूर्णिमा के दौरान बड़ा त्यौहार आया। उस दिन ललिता बनी चुहिया दीपक की बत्ती खाने के इरादे से मंदिर में चली गई। लेकिन मंदिर में जाते ही उसे बिल्ली के आने का आगाज हो गया और वह तुरंत ही वहां से भाग गए।

Dhanteras 2022

चुहिया बिल्ली के आने का सुनकर वहां से डर के मारे भाग गई, लेकिन बत्ती फिर भी बुझी नहीं मंदिर में दीपक जलता ही रहा। ललिता का कहना है कि चुहिया की कुछ समय बाद मृत्यु हो गई। मृत्यु होने के बाद अनजाने में जल रही दीपक के प्रभाव से ललिता का जन्म राजा के घर हो गया, पर देखते ही देखते राजा के घर में ही उसका विवाह भी हो गया। इसलिए ललिता का कहना है कि अनजाने में हुई दीपदान के महत्व को जानकर वह रोजाना दीप जलाया करती हैं।

ललिता द्वारा बताई गई कहानी को सुनकर बाकी रानियों ने भी रोजाना दीपक जलाने का कार्य शुरू कर दिया, ताकि उन्हें अगले जन्म में भी रानी बनने का सौभाग्य प्राप्त हो।

रोजाना दीपदान करने के कारण राजा अपनी पत्नियों के साथ राज्य सुख उपभोग कर विष्णु लोक में प्रस्थान कर लिए।इसलिए हमारे हिंदू धर्म में बताया जाता है कि जो भी पुरुष और महिला उत्तम दिन के दौरान दीपक जलाया करते हैं, उन्हें आगे चलकर विष्णु लोक में जगह मिलती है।

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *