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कुल्लू सांझ घाटी: शांघड़ गांव कुल्लू जहां शंगचुल महादेव के संरक्षण में बसे, पांडवों के अनोखे रीति-रिवाज और इतिहास।

कुल्लू सांझ घाटी: शांघड़ गांव कुल्लू जहां शंगचुल महादेव के संरक्षण में बसे, पांडवों के अनोखे रीति-रिवाज और इतिहास।

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कुल्लू: कुल्लू की सैंज घाटी का शांघड़ गांव अपनी प्राकृतिक सुंदरता और अनोखे रीति-रिवाजों के लिए मशहूर है। यहां शंगचूल महादेव विराजमान हैं, जिनके अनुसार गांव में कई मान्यताएं और नियम सालों से माने जाते हैं। इस गांव की खास बात यह है कि यहां वर्दीधारी पुलिस अधिकारियों को प्रवेश की इजाजत नहीं है और यहां सिगरेट और शराब पर भी सख्त प्रतिबंध है। शांघड़ गांव का इतिहास पांडवों से भी जुड़ा हुआ है, जिससे इसका धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व और भी बढ़ जाता है।

शांघड़ गांव की खूबसूरती और अनोखे रिवाज
शांघड़ गांव कुल्लू की सैंज घाटी में स्थित है जहां हरियाली से घिरा 128 बीघे का मैदान पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है। इस फर्श की खास बात यह है कि इसमें एक भी कंकड़ या पत्थर नहीं है, जो इसे और भी खास बनाता है। इस स्थल के पास स्थित शंगचूल महादेव का मंदिर गांव की आस्था और नियमों का केंद्र है। शंगचुल महादेव के नियम यहां के लोगों के लिए बाध्यकारी हैं और सभी ग्रामीण उनका पालन करते हैं।

शांघड़ का पौराणिक एवं ऐतिहासिक महत्व
शांघड़ गांव का इतिहास द्वापर युग से जुड़ा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि जब राक्षसों ने देवताओं को परेशान करना शुरू कर दिया था तो देवताओं को सुरक्षा के लिए इस स्थान पर ले जाया गया था। इस क्षेत्र का एक विशेष भाग देवताओं के लिए आरक्षित था। पांडवों के बारे में एक और कहानी कहती है कि अपने निर्वासन के दौरान, पांडव शांघड़ पहुंचे और उन्हें उस मैदान से सभी पत्थर और कंकड़ हटाने का आदेश दिया गया ताकि वह स्थान जानवरों के चरने के लिए उपयुक्त हो सके। आज भी इस मैदान में एक भी कंकड़-पत्थर नजर नहीं आता और यह जगह पूरी तरह से हरी-भरी है।

शंगचुल महादेव के नियम और न्याय
शंगचूल महादेव के नियमों के अनुसार, शांघड़ गांव में कोई भी अनुचित व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। गांव में शराब लाना, सिगरेट पीना और वर्दी में पुलिस अधिकारियों का प्रवेश वर्जित है। ऐसा माना जाता है कि शंगचुल महादेव गांव में न्याय सुनिश्चित करते हैं और जो कोई भी गलत कार्य करता है उसे महादेव दंडित करते हैं।

प्रेमियों के लिए स्वर्ग
शांघड़ गांव के इतिहास में प्रेमी जोड़ों के लिए भी खास जगह है। पहले के समय में, जिन प्रेमियों को समाज से कोई सुरक्षा नहीं मिलती थी या जिन्हें परिवार से भागने की ज़रूरत होती थी, वे शंगचूल महादेव में शरण लेते थे। गाँव के नियम के अनुसार महादेव की अनुमति से उनके रहने का स्थान बना दिया गया। यह परंपरा आज भी गांव के लोगों की आस्था को दर्शाती है।

शांघड़ गांव न सिर्फ अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए मशहूर है बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक रीति-रिवाजों ने भी इसे खास बनाया है। शंगचुल महादेव के प्रति गहरी आस्था और पांडवों से जुड़ी कहानियों ने भी इसे एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थान बना दिया है।

टैग: हिमाचल प्रदेश समाचार, कुल्लू समाचार, स्थानीय18

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