क्या आपने हिमाचल का लाल चावल खाया है? जानिए उनकी खासियत
बाज़ार: हिमाचल प्रदेश में मंडी लोकसभा क्षेत्र चंबा से लाहौल स्पीति तक फैला हुआ है। यहां चावल की कई प्रजातियां हैं. उनमें से एक है लाल चावल। रामपुर बुशहर में पाया जाने वाला लाल चावल न सिर्फ सेहत के लिए फायदेमंद है बल्कि इसकी खेती और उत्पादन की प्रक्रिया भी इसे खास बनाती है।
वहीं, कारोबारी ने कहा कि वह हर साल लवी मेले में लाल चावल लेकर आते हैं. लाल चावल की लोगों की मांग अधिक है. यह चावल 800 रुपये प्रति किलो की कीमत पर बिकता है. यह चावल हिमाचल के कुछ ही क्षेत्रों में पाया जाता है और सीमित मात्रा में उगाया जाता है। खेती में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता है, इसलिए खेती महंगी है। यह चावल पोषक तत्वों से भरपूर है और स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है।
लाल चावल बंजर भूमि और पहाड़ियों पर उगाया जाता है
लाल चावल आमतौर पर बंजर भूमि और पहाड़ियों पर उगाया जाता है, जिसके लिए अधिक श्रम और समय की आवश्यकता होती है। इस चावल को हाथ से काटा जाता है और धूप में सुखाया जाता है। इसका मतलब है कि उनकी गुणवत्ता बनी रहती है। इसकी खेती का उत्पादन अन्य चावल की तुलना में कम है, जो इसे दुर्लभ और मूल्यवान बनाता है।
यह इतना महंगा क्यों है?
लाल चावल हिमाचल के कुछ ही क्षेत्रों में पाया जाता है। इसका उत्पादन सीमित मात्रा में किया जाता है। इसमें कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) होता है, जिसका अर्थ है कि इसके सेवन से शर्करा का स्तर जल्दी नहीं बढ़ता है। इसलिए यह शुगर और डायबिटीज के मरीजों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है। इसमें फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जो पाचन को बेहतर बनाने में मदद करता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट शरीर को बीमारियों से बचाने और रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में मदद करते हैं।
इसके अलावा इसमें आयरन, जिंक और मैग्नीशियम जैसे खनिज प्रचुर मात्रा में होते हैं। यह चावल रक्तचाप को नियंत्रित करने, हड्डियों को मजबूत बनाने और शरीर को ऊर्जा प्रदान करने में मदद करता है। इसके स्वास्थ्य लाभ, विशिष्ट निर्माण प्रक्रिया और जैविक गुण इसे मूल्यवान बनाते हैं। ऐसे में यह चावल न केवल हिमाचल प्रदेश की पहचान बन गया है बल्कि उपभोक्ताओं के लिए स्वास्थ्य और स्वाद का अमूल्य उपहार भी है।
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पहले प्रकाशित: 21 दिसंबर, 2024 6:08 अपराह्न IST