Chhath Puja 2022: आखिर छठ पूजा के दिन प्रसाद मांगकर खाने की क्या है परंपरा? जानिए इस कथा से इसके पीछे की वजह
Chhath Puja 2022: हिंदू त्योहारों में एक विशेष छठ पूजा का महत्व होता है. छठ पूजा का त्यौहार बिहार में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. आस्था और उल्लास के साथ मनाया जाने वाले इस पर्व की शुरुआत इस बार 28 अक्टूबर से हो रही है. पूजा के दिन भगवान सूर्य और षष्ठी माता की पूजा की जाती है.
छठ पूजा 4 दिन तक चलती है और कहा जाता है कि इस पूजा के कारण घर में सुख, संपति, धन-धान्य और ऐश्वर्य, वैभव बना रहता है. 4 दिन तक मनाई जाने वाली छठ पूजा में हर दिन अलग-अलग परंपरा निभाई जाती है. आइए जानते हैं छठ पूजा का ग्रंथों और पुराणों में क्या महत्व बताया गया है?
Chhath Puja 2022: हर दिन होती है अलग परंपरा
छठ पूजा का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए होता है और इसे बड़े ही हर्ष उल्लास और धूमधाम के साथ मनाया जाता है. 4 दिन तक चलने वाले इस छठ पूजा के पलों में हर दिन अलग-अलग परंपरा निभाई जाती है. छठ पूजा के पर्व की शुरुआत नहाए खाय से होती है. दूसरे दिन खरना का व्रत रखा जाता है. तीसरे दिन महिलाएं डूबते हुए सूरज की पूजा करती हैं तो चौथे दिन उगते हुए सूरज को अर्घ्य देकर उसकी पूजा की जाती है. छठ पूजा के दिन लोग भगवान सूर्य और षष्ठी माता की पूजा करके परिवार में सुख शांति और खुशहाली की प्रार्थना करते है.
Chhath Puja 2022: प्रसाद मांगकर खाने की परंपरा
छठ पूजा के दिन प्राकृतिक पकवान और मिठाइयों का बड़ा महत्व माना जाता है. इसीलिए ज्यादातर लोग छठ पूजा के समय फल और फूलों का सेवन करते हैं. छठ पूजा के समय लोग एक दूसरे से प्रसाद मांग कर खाते हैं. अब आप सोच रहे होंगे ऐसा क्यों होता है? लेकिन इसके बारे में भी पुराणों में कई तरह के मत दिए गए हैं.
पुराणों में बताया गया है कि प्रसाद मांग कर खाने से भगवान सूर्य और देवी षष्ठी की कृपा बनी रहती है. अगर हम प्रसाद मांग कर खाते हैं तो इससे लोगों के प्रति सम्मान बढ़ता है और एक दूसरे की बुराइयां दूर होती है. इसलिए छठ पूजा का प्रसाद मांग कर खाने में कोई भी भक्त इसी तरह से संकोच नहीं करता. भक्तों की इस आस्था से देवी षष्ठी और भगवान सूर्य प्रसन्न होकर उन्हें आशीर्वाद देते है.