God Hanuman: जानते है किसने हनुमान जी को दिया था अमरता का वरदान? पढ़े इसके पीछे की पौराणिक कथा…
God Hanuman: हिंदू धर्म में कई प्रकार के देवता है और उनके पास अलग-अलग प्रकार की शक्तियां होती हैं. इसी में से एक है भगवान श्री राम और उनके परम भक्त हनुमान जी. हनुमान जी को भगवान श्री राम का सबसे बड़ा भक्त माना जाता है. हनुमान जी ने अपना पूरा जीवन भगवान श्री राम के लिए ही समर्पित कर दिया था. इसके अलावा उन्हें अलग-अलग नामों से भी पुकारा जाता है जैसे बजरंगबली, पवन पुत्र, अंजनेय आदि. सतयुग में इनके साहस और वीरता की कई सारी कहानियां प्रसिद्ध है. कहा जाता है कि कलयुग में भी भगवान हनुमान जी अमर है और आज भी यहां वितरण करते हैं.
प्राचीन कथाओं और ब्राह्मणों के अनुसार बताया गया है कि हनुमान जी को अमरता का वरदान मिला हुआ है. महर्षि वाल्मीकि के द्वारा बताई गई रामायण में लिखा है कि हनुमान जी को अमर होने का वरदान मिला है और आज भी वह धरती पर निवास करते हैं. आइए हम बताते हैं इससे जुड़ी हुई आपको पुरानी कथा और किसने दिया था अनुमान जी को अमर होने का वरदान?
God Hanuman: हनुमान जी को मिला अमरता का वरदान
वाल्मीकि रामायण में बताया जाता है कि जब श्रीराम ने लंका पर विजय प्राप्त कर ली थी और रावण का वध कर दिया था तो उसके बाद वह वापस अयोध्या लौटे थे. इसके बाद प्रभु श्री राम ने युद्ध में उनका साथ देने वाले सभी को उपहार देने का निर्णय लिया. सुग्री, अंगद, विभीषण सभी को भगवान श्री राम से उपहार मिला लेकिन जब हनुमान जी की बारी आई तो हनुमान जी ने कहा, “यावद् रामकथा वीर चरिष्यति महीतले। तावच्छरीरे वत्स्युन्तु प्राणामम न संशय:।।”
इसका मतलब है, “हे राम! जब तक इस धरती पर राम कथा का वाचन होता रहेगा मैं यहां पर उपस्थित रहना चाहता हूं. तब तक मेरे शरीर में प्राण रहने चाहिए.”
अपने भक्त हनुमान जी की इस तरह की गई याचना पर प्रभु श्री राम ने उन्हें आशीर्वाद देते हुए कहा कि, “एवमेतत् कपिश्रेष्ठ भविता नात्र संशय:। चरिष्यति कथा यावदेषा लोके च मामिका तावत् ते भविता कीर्ति: शरीरे प्यवस्तथा। लोकाहि यावत्स्थास्यन्ति तावत् स्थास्यन्ति में कथा।।”
“हे वानरश्रेष्ट! इस धरती पर जब तक रामकथा का प्रचलन होता रहेगा तब तक तुम्हारी छवि अमिट रहेगी. तब तुम्हारे शरीर में प्राण रहेंगे. यह लोक बने रहने तक मेरी कथाएं भी चलती रहेगी और निःसंदेह ऐसा ही होगा…”
इसके अलावा हनुमान जी के अमर होने के बारे में यह है कथा भी प्रचलित है कि जब हनुमान जी भगवान श्री राम की अंगूठी लेकर माता सीता के पास गए थे तो सीता माता ने खुश होकर हनुमान जी को अमर होने का वरदान दिया था.