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Shiv Tandav: सिर्फ अत्यंत गुस्सा होने पर ही नही बल्कि खुश होने पर भी शिव करते है ‘तांडव’, जानिए इसका महत्व और कैसे करें पाठ?

Shiv Tandav

Shiv Tandav: पुराणों में ऐसा बताया गया है कि भगवान शंकर को जब अत्यधिक क्रोध आ जाता था तो वह तांडव नृत्य करते थे. भगवान शंकर ने ही तांडव नृत्य की रचना की थी. लेकिन शास्त्रों में ऐसा भी बताया गया है कि भगवान शंकर क्रोध और लीला दोनों के समय ही तांडव करते हैं. तांडव नृत्य के दो प्रकार बताए गए हैं. ऐसा कहा जाता है कि जब भगवान शिव तांडव करते हुए अपना तीसरा नेत्र खोलते हैं तो अत्यधिक क्रोध में होते हैं जिससे प्रलय आ जाती है. अगर भगवान शिव तांडव करते हुए डमरू बजाते हैं तो इसका मतलब वह परम आनंद की अनुभूति कर रहे हैं.

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भगवान शिव के है ये अन्य रूप

जब भगवान शंकर रूद्र तांडव करते हैं तो वह रुद्रत्व कहलाते है. जब भगवान शंकर आनंद के तांडव में मग्न होकर नाचते हैं तो वे नटराज कहलाते हैं.ऐसा भी बताया जाता है कि पौराणिक काल में रावण ने अपने परम आराध्य भगवान शिव की स्तुति के लिए ‘शिव तांडव स्त्रोत’ की भी रचना की थी. आइए जानते हैं कि इसका क्या महत्व है और इसका पाठ कैसे किया जाता है.

तांडव स्त्रोत पाठ के लाभ

ऐसा बताया जाता है कि भगवान शंकर की विशेष कृपा पाने के लिए लोग तांडव स्त्रोत का पाठ करते हैं. जो भी कोई व्यक्ति तांडव स्त्रोत का नियमित पाठ करता है उसके पास सुख संपत्ति और ऐश्वर्य बना रहता है. यह पाठ नियमित रूप से ही करना चाहिए. पंडितों के अनुसार अगर आप नियमित इस तांडव स्त्रोत का पाठ नहीं कर सकते तो आपको सोमवार और शनिवार के दिन तांडव स्त्रोत का पाठ अवश्य करना चाहिए. जो कोई व्यक्ति शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करता है तो उसे राहु, केतु, शनि, कालसर्प दोष आदि से मुक्ति मिलती है. भगवान शंकर को भी तांडव स्त्रोत बहुत ही प्रिय है.

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ऐसे करना चाहिए पाठ

शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करने के लिए आपको कुछ नियमों का पालन भी करना होगा. शिव तांडव स्त्रोत का पाठ नियमित सुबह सूर्योदय के समय करने से ज्यादा लाभ मिलता है. पाठ करने से पहले आप नहा धोकर पूरी तरह स्वच्छ हो जाएं. साफ-सुथरे वस्त्र पहन कर तैयार हो. इसके बाद भगवान शिव की मूर्ति सामने रखकर, उसके सामने धूप दीपक जलाए और प्रणाम करें. भगवान शिव की कोई भी प्रिय चीज जैसे बेलपत्र या धतूरा उन्हें अर्पित करें. इसके बाद भगवान शिव का जल से अभिषेक करें. इसके बाद सही तरह से उच्चारण करते हुए शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करें. जब शिव तांडव स्त्रोत का पाठ पूरा हो जाए तो भगवान शिव को प्रणाम करें और कुछ देर शिव की भक्ति में ध्यान लगाएं.

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