नशे की रोकथाम के क्षेत्र में शिक्षण संस्थानों पर रहेगा विशेष फोकस: उपायुक्त कांगड़ा
मुनीष धीमान. धर्मशाला
उपायुक्त कांगड़ा हेमराज बैरवा ने गुरुवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि कांगड़ा जिले के सरकारी शिक्षण संस्थानों में युवाओं को नशीली दवाओं के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूक करने पर विशेष जोर दिया जाएगा।
नेशनल नार्को कोऑर्डिनेशन पोर्टल (एनसीओआरडी) की जिला स्तरीय समन्वय समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने कहा कि माध्यमिक विद्यालयों में नशीली दवाओं की रोकथाम के लिए गठित निगरानी क्लबों के माध्यम से विभिन्न स्तरों पर नशीली दवाओं की रोकथाम जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। महाविद्यालयों में रेड रिबन क्लबों को नशा विरोधी अभियान का हिस्सा बनाया जाएगा, तकनीकी संस्थानों में भी युवाओं को जागरूक करने के लिए विशेष योजना तैयार की जाएगी ताकि कांगड़ा जिला को नशा मुक्त बनाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकें।
उपायुक्त हेमराज बैरवा ने कहा कि पुलिस व अन्य एजेंसियों के सहयोग से कांगड़ा जिला के सीमावर्ती क्षेत्रों नूरपुर आदि में विशेष नशा निवारण अभियान चलाया जाएगा ताकि इन क्षेत्रों के युवाओं को नशे से दूर रखा जा सके। उपायुक्त हेमराज बैरवा ने कहा कि नशे की लत से प्रभावित लोगों को उचित उपचार और मार्गदर्शन सुनिश्चित करने के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के डॉक्टरों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। उपायुक्त ने कहा कि कांगड़ा जिला में अब तक सात स्वास्थ्य सुविधाओं में विषहरण क्लीनिक शुरू किए जा चुके हैं। इन अस्पतालों में ये सेवाएँ सप्ताह में दो दिन शुक्रवार और शनिवार को दोपहर 2 बजे से शाम 4 बजे तक प्रदान की जाती हैं। इनमें जोनल अस्पताल धर्मशाला और सिविल अस्पताल ज्वालामुखी, शाहपुर, नूरपुर, इंदौरा, देहरा और पालमपुर शामिल हैं। इन सुविधाओं में वापसी के मामलों का इलाज करने के लिए प्रशिक्षित डॉक्टर और कर्मचारी हैं। इसके अलावा, नशा मुक्ति की सभी दवाएं वहां पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया कि यह सेवा जिले के अन्य अस्पतालों में भी लागू रहेगी।
उन्होंने पुनर्वास क्लीनिकों में डॉक्टरों और अन्य कर्मचारियों के लिए विशेष प्रशिक्षण के बारे में पूछा। उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य के लिए देश में नशे के खिलाफ लड़ाई में लगे महत्वपूर्ण संस्थानों और विशेषज्ञों की सेवाओं का उपयोग किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जिले में नशा मुक्ति सेवाओं के लिए वन-स्टॉप शॉप स्थापित की जाएगी। उन्होंने कहा कि इस वन-स्टॉप शॉप के माध्यम से नशीली दवाओं की आपूर्ति, नशा मुक्ति, पीड़ित उपचार और सभी संबंधित सेवाओं की जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि जिले में संचालित सभी डिटॉक्स एवं पुनर्वास केंद्रों का नियमित रूप से ऑडिट कर रिपोर्ट सौंपी जाये, ताकि मानकों का अनुपालन नहीं करने वाले डिटॉक्स एवं पुनर्वास केंद्रों पर आवश्यक कार्रवाई की जा सके.
इस अवसर पर बोलते हुए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक हितेश लखनपाल ने कहा कि जिले में मादक पदार्थों की तस्करी को नियंत्रित करने और युवाओं को इससे बाहर निकालने के लिए सभी की भागीदारी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि जो युवा और उनके परिवार नशे की गिरफ्त में आ गए हैं, उन्हें पुलिस प्रशासन को सूचित करने में संकोच नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पुलिस उनकी सुरक्षा और मादक पदार्थों की तस्करी पर नियंत्रण के लिए पूरा सहयोग करेगी। बैठक कक्ष में डॉ. आरके सूद, शिक्षा उपनिदेशक महेंद्र, समन्वयक सुधीर भाटिया, विभिन्न विभागों के अधिकारी, गुंजन संगठन के समन्वयक संदीप शर्मा और निदेशक विजय सहित अन्य गैर सरकारी संगठनों और हितधारकों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।