मसरूर रॉक कट टेम्पल, यहां पांडवों ने द्रौपदी के लिए बनवाया था तालाब, जानिए इसकी खासियत
कांगड़ा. आज हम आपको हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के एक खूबसूरत मंदिर के बारे में बताएंगे जिसका निर्माण एक बड़ी चट्टान को काटकर किया गया था। यह मंदिर किसी चमत्कार से कम नहीं है। हिमालय की गोद में स्थित हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है। नदियों की कलकल ध्वनि, विशाल पर्वत चोटियाँ, मनमोहक घाटियाँ और गर्म पानी के झरने प्रकृति की अद्भुत सुंदरता के प्रमाण हैं। इस प्राकृतिक सुंदरता में समुद्र तल से 2500 फीट की ऊंचाई पर स्थित पत्थरों को काटकर बनाया गया मसरूर रॉक कट टेम्पल भी शामिल है।
हिमाचल का अजंता एलोरा
मसरूर मंदिर को हिमाचल का अजंता-एलोरा भी कहा जाता है और यह एलोरा से भी पुराना है। यहां पहाड़ को तराश कर गर्भगृह, मूर्तियां, सीढ़ियां और दरवाजे बनाए गए हैं। मंदिर के सामने स्थित मसरूर झील इस मंदिर की सुंदरता को और बढ़ा देती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, पांडवों ने अपने निर्वासन के दौरान इस मंदिर का निर्माण किया था और मंदिर के सामने सुंदर झील द्रौपदी के लिए बनाई गई थी। झील में मंदिर के कुछ हिस्सों का प्रतिबिंब भी देखा जा सकता है। इस तरह से बनाया गया यह उत्तर भारत का एकमात्र मंदिर है।
1905 के भूकंप से क्षति
मंदिर की दीवारों पर ब्रह्मा, विष्णु, महेश और कार्तिकेय के साथ-साथ अन्य देवी-देवताओं की आकृतियाँ हैं। बलुआ पत्थर से निर्मित यह मंदिर 1905 के भूकंप से बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था। फिर भी, यह मुख्य आकर्षण बना हुआ है। यह राष्ट्रीय संपत्ति के रूप में संरक्षित है और इसकी खोज सबसे पहले 1913 में अंग्रेज एचएल स्टुलबर्थ ने की थी।
स्वर्ग का रास्ता
यह मंदिर 8वीं शताब्दी में बनाया गया था और समुद्र तल से 2500 फीट की ऊंचाई पर एक ही चट्टान को काटकर बनाया गया है। आज भी वहाँ विशाल पत्थर के द्वार हैं जिन्हें “स्वर्गद्वार” के नाम से जाना जाता है। कुछ मान्यताओं के अनुसार, स्वर्ग जाने से पहले पांडव इसी स्थान पर रुके थे और इसलिए यहां स्थित पत्थर के दरवाजों को “स्वर्ग का मार्ग” भी कहा जाता है।
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पहले प्रकाशित: सितम्बर 17, 2024, 12:02 IST