शिमला नगर निगम ने सफाई कर्मचारियों को दी पदोन्नति, कम वेतन अब भी चुनौती
शिमला. हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला समेत अन्य पहाड़ी शहरों में सफाई कर्मचारियों और कूड़ा बीनने वालों के लिए काम बेहद चुनौतीपूर्ण है, जबकि समतल शहरों में घरों के बाहर पहुंचकर कूड़ा इकट्ठा किया जाता है. पर्वतीय क्षेत्रों में कई स्थानों पर सड़क संपर्क नहीं है। इन क्षेत्रों में सफाई कर्मचारियों को सीढ़ियों और फुटपाथों का सहारा लेना पड़ता है। ऐसे में वे घरों से कूड़ा इकट्ठा करते हैं और उसे अपनी पीठ पर लादकर सड़कों पर ले जाते हैं. इसमें पुरुषों के अलावा महिलाएं भी हिस्सा लेती हैं. ऐसे में शिमला के सफाई मित्रों की मेहनत को उजागर करने के लिए एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म के जरिए इसे सरकार और जनता को दिखाने की कोशिश की गई.
सफाई मित्रों का महत्व
शिमला नगर निगम के मेयर सुरेंद्र चौहान ने लोकल 18 से बात करते हुए कहा कि सफाई कर्मचारी और कूड़ा उठाने वाले हर शहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और इसलिए उन्हें ‘सफाई मित्र’ कहा जाता है. समतल शहरों की तुलना में पहाड़ों में आपका काम अधिक मांग वाला है। शहरों में हर घर तक गाड़ियाँ पहुँच सकती हैं, जबकि पहाड़ी इलाकों में यह संभव नहीं है। इसलिए सफाई मित्रों को प्रोत्साहित करना और उनके काम की सराहना करना बहुत जरूरी है।
अतिरिक्त धन की आवश्यकता
मेयर ने कहा कि पर्वतीय शहरों में सफाई का काम बहुत कठिन है, इसलिए केंद्र सरकार और अधिकारियों को इन शहरों के लिए अतिरिक्त धनराशि उपलब्ध करानी चाहिए. सफाई कर्मचारियों की कड़ी मेहनत के बावजूद उनका वेतन बहुत कम है। ऐसे में उनकी सैलरी बढ़ाने और अतिरिक्त सुविधाएं देने की जरूरत है. मेयर ने सरकार से सफाई मित्रों की मेहनत पर ध्यान देने और उन्हें बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने की अपील की. समाज को स्वच्छ एवं सुंदर बनाये रखने में सफाई मित्रों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।
पहले प्रकाशित: 20 सितंबर, 2024 10:37 अपराह्न IST